मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किसान आंदोलन के मामले पर कहा कि इस पर केंद्र सरकार को ही निर्णय लेना है। सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद उसे जो उचित लगेगा, वह कदम उठायेगी। मुख्यमंत्री सोमवार को जनता के दरबार में लोगों की समस्याएं सुनने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नये केंद्रीय कृषि कानून किसान विरोधी नहीं हैं। कुछ इलाकों की समस्याएं अलग हैं। ऐसे में इनका अध्ययन करना भी बेहद जरूरी है। इस पर केंद्र सरकार ही विचार-विमर्श करेगी। केंद्र ने कई बार इसे लेकर पहल भी की थी। उन्होंने कहा कि बिहार में किसानों के लिए ऐसे सुधार पहले ही किये गये हैं।
तीन चरणों में कृषि रोडमैप से लेकर अन्य स्तर पर काम हुए हैं। इनका फायदा भी किसानों को मिल रहा है। उत्पादकता बढ़ी है। सीएम ने कहा कि कोरोना के आये डेढ़ साल से ज्यादा समय बीत गया। इसका असर आर्थिक गतिविधियों पर भी पड़ा है। लेकिन अब महत्वपूर्ण है कि कैसे इससे जल्द उबरा जाये। इसके लिए व्यापक स्तर पर काम किये जा रहे हैं। केंद्र के स्तर पर भी इसे लेकर काफी काम हुआ है। कैसे बाहर निकलें, इस पर विचार करने की जरूरत है।
राज्य में बाढ़ से 57 लाख से अधिक पीड़ित
सीएम ने कहा कि राज्य में बाढ़ के कारण 57 लाख से ज्यादा लोग पीड़ित हुए हैं। कहीं पानी घट रहा है, तो कहीं बढ़ रहा है। अभी कुछ कहा नहीं जा सकता कि आने वाले समय में क्या होगा? हर वर्ष बाढ़ के कारण सबसे ज्यादा सितंबर में ही नुकसान होता था, लेकिन इस बार थोड़ी राहत है।
जातीय जनगणना विषमता दूर करने के लिए जरूरी
नीतीश कुमार ने कहा कि समाज को बांटने के लिए जाति आधारित जनगणना की मांग नहीं की जा रही, बल्कि यह समाज को एकजुट करने के लिए की जा रही है। समाज की विषमता दूर करने के लिए यह जरूरी है। समाज के जिस वर्ग को आगे निकालने की बात हम करते हैं, उनके लिए यह जरूरी है। यह देशहित में है और इससे सभी को लाभ मिलेगा।