बड़ी खबर बिहार के सियासी गलियारे से आ रही है. किसान आंदोलन के समर्थन के लिए तेजश्वी यादव (Tejaswi Yadav) के पटना के गांधी मैदान (Patna Gandhi Maidan) में होने वाले धरने पर रोक लगा दी गई है. जिला प्रशासन द्वारा मैदान के अंदर रहे लोगों को निकाल कर उसे सील कर दिया गया है. प्रशासन द्वारा साफ तौर पर कह दिया गया है कि गांधी मैदान धरनास्थल नहीं है इसलिए यह कार्रवाई की गई है. प्रशासन द्वारा रोक लगाए जाने और गांधी मैदान को सील किए जाने के बावजूद बाहर ही चार नंबर गेट पर कई नेता धरने पर बैठ गए हैं.
गोडसे को पूजने वाले लोग पटना पधारे है उनके स्वागत में अनुकंपाई मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना के गाँधी मैदान में गाँधी मूर्ति को क़ैद कर लिया ताकि गाँधी को मानने वाले लोग किसानों के समर्थन में गाँधी जी के समक्ष संकल्प ना ले सके। नीतीश जी,वहाँ पहुँच रहा हूँ। रोक सको तो रोक लीजिए।
इस बीच धीरे-धीरे सभी महागठबंधन में शामिल राजद, कांग्रेस व वाम दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं के पहुचने का सिलसिला शुरू हो गया है. जिला प्रशासन के लोग भी मौके पर मौजूद हैं और नेताओं को आगाह कर रहे हैं कि यह धरनास्थल नहीं है और पूर्व अनुमति नहीं ली गई है. इसलिए धरने को खत्म करें, लेकिन नेता हटने को तैयार नहीं हैं.
बता दें कि कृषि बिल वापस लेने के मुद्दे को लेकर किसान आंदोलन के समर्थन में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आज गांधी मैदान के अंदर महागठबंधन द्वारा धरना प्रस्तावित है. लेकिन, गांधी मैदान को पूरी तरीके से सील कर दिया गया है और वहां पर पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी गई है. गांधी मैदान के अंदर किसी को भी जाने की इजाजत नहीं है. जो मॉर्निंग वॉकर आज पहुंचे थे उन्हें भी आप गांधी मैदान से बाहर निकाल दिया गया.
बता दें कि तेजस्वी ने शुक्रवार को महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने धरना देने को लेकर तर्क दिया था कि यह गांधी जी से विचारों से जुड़ा मसला है. उन्होंने कहा था कि गांधी जी को महात्मा चम्पारण की धरती ने बनाया. नील की खेती वाली और अंग्रेज वाली ही स्थिति है. हर किसी को मजदूर बनाकर छोड़ा जाएगा.
तेजस्वी ने इसे नीतीश सरकार को घेरते हुए कहा कि बिहार के सीएम ने कोरोना को लेकर कमिटी बनाने की बात कही थी. सदन को गुमराह कर सिर्फ मीडिया में बातों की हवा बनायी जाती है. ऐसी सरकार जो झूठी सरकार हो. पहली बार एनडीए सरकार में परम्परा चल रही. झूठ बोलो, शानदार बोलो और बारबार बोलो. जो अधिकारी दिया उसे पढ़कर बोल दिया.