पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) 3 सितंबर को एनडीए में शामिल हो जाएगी। सूत्रों के अनुसार, मांझी को राज्यसभा भेजा जा सकता है। राज्यसभा में बिहार की सीट खाली होते ही मांझी को जदयू कोटे से टिकट मिल सकता है। सीट शेयरिंग के समय ‘हम’ को 10 सीट देने पर बात बनी है। हम के कुछ नेता जदयू के सिंबल पर भी चुनाव लड़ सकते हैं। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले यह महा गठबंधन को बड़ा झटका माना जा रहा है। पिछले महीने ही हम ने महागठबंधन का साथ छोड़ा था।
हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा, ‘एनडीए में हमारी पार्टी राज्य और देश के विकास के मुद्दे पर शामिल हो रही है। चुनाव में हमें कितनी सीट मिलती हैं, यह मुद्दा नहीं है। तेजस्वी यादव से हमारी पार्टी को उम्मीद थी कि वह युवा नेता हैं। राजद के पुराने ढर्रे को छोड़कर बिहार के विकास के लिए काम करेंगे। लेकिन जिस तरह से राज्यसभा और विधान परिषद के टिकट बेचे गए, इससे साफ हो गया कि तेजस्वी कार्यकर्ता और राज्यहित में नहीं सोच सकते।’ उन्होंने कहा, ‘तेजस्वी हमेशा धन हित में सोचेंगे। 15 साल लालू प्रसाद यादव का शासनकाल था। वह उसी शासनकाल को आगे बढ़ाने की सोच रहे हैं। यह राज्य के हित में नहीं है। इसके चलते हमारी पार्टी ने तय किया कि महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में शामिल होना है।
महागठबंधन में राजद द्वारा एकतरफा फैसला लिए जाने से सहयोगी दलों में नाराजगी थी, जिसका नतीजा 20 अगस्त को हम के महागठबंधन छोड़ने के रूम में सामने आया। हम के नेता जीतन राम मांझी महागठबंधन में संयुक्त रूप से फैसला लेने के लिए कोऑर्डिनेशन कमेटी बनाने की मांग की थी। उन्होंने कई बार अल्टीमेटम दिया, लेकिन इस पर पहल नहीं हुई, जिसके चलते मांझी महागठबंधन से अलग हो गए। राजद ने तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया था।
महागठबंधन के दूसरे दलों को यह एकतरफा फैसला ठीक नहीं लगा। राजद के 7 विधायक और 5 विधान पार्षद अभी तक जदयू में शामिल हो चुके हैं। जदयू के विधायक और पूर्व मंत्री श्याम रजक ने राजद में घर वापसी की थी। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोकसभा चुनाव में जेडीयू के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी मई 2014 को सीएम पद इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपनी जगह अपनी कैबिनेट में मंत्री रहे जीतनराम मांझी को सीएम बनाया था। मुख्यमंत्री बनने के 10 महीने बाद नीतीश कुमार ने उनसे पद छोड़ने के लिए कहा तो मांझी ने मना कर दिया था। उन्होंने नीतीश पर आरोप लगाया था कि वह उन्हें रवड़ स्टैंप सीएम बनाना चाहते हैं। इस पर नीतीश ने उनको पार्टी से निष्कासित कर दिया गया। 20 फरवरी 2015 को बहुमत साबित न कर पाने के कारण मांझी ने इस्तीफा दे दिया था।
नीतीश एनडीए से अलग होकर राजद व कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर सीएम बने यह सरकार सिर्फ 20 माह चली। नीतीश महागठबंधन से अलग हो गए और एनडीए में शामिल होकर फिर से सरकार बना ली। एनडीए में नीतीश के आ जाने के चलते मांझी एनडीए से अलग हो गए थे और महागठबंधन का हिस्सा बन गए थे। 20 फरवरी 2015 को बहुमत साबित न कर पाने के कारण मांझी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था अपनी अलग पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा बनाया था। 11 जून 2015 को जीतन राम मांझी ने भाजपा के साथ गठबंधन की घोषणा की। 2015 का विधानसभा चुनाव मांझी ने एनडीए के सहयोगी के रूप में लड़ा। 20 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे, लेकिन जीत सिर्फ एक सीट पर मिली।