पूर्व मुख्यमंत्री व हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी बयानों के लिए जाने जाते हैं। मांझी अपनी बयानों से सहयोगी दलों को भी असहज कर देते हैं। जेडीयू के पार्टनर जीतनराम मांझी समय-समय पर नीतीश सरकार को भी घेरने से बाज नहीं आते। इधर एनडीए के सबसे बड़े दल बीजेपी ने जब नीतीश सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े किये तो बचाव में मांझी उतरे। इस तरह से मांझी ने सीधे बीजेपी से पंगा ले लिया। भाजपा ने जब मांझी पर आंखें तरेरी तो उनकी तरफ से एनडीए में कॉ-ऑडिनेशन कमेटि की मांग छेड़ दी गई है।
मांझी की मांग पुरानी
वैसे मांझी की को-ऑडिनेशन कमेटि की मांग कोई नई बात नहीं है। महागठबंधन में भी वे इस मांग रख कर अपनी भद्द पिटवा चुके हैं। महागठबंधन में जब मांझी की पूछ घट गई थी तो वहां भी को-ऑडिनेशन बनाने को लेकर दबाव बनाने लगे थे। लेकिन गठबंधन के सबसे बड़े दल राजद ने मांझी की मांग को सिरे से खारिज कर दिया था। इस तरह से को-ऑडिनेशन कमिटी की मांग करते-करते मांझी महागठबंधन से अलग हो गये थे। अब एनडीए में मांझी ने जब को-ऑडिनेशन कमिटी की मांग की तो सबसे बड़े दल बीजेपी ने बेकार की मांग करार दे दिया. बीजेपी ने साफ कह दिया है कि दो बड़े दलों के बीच भ्रम पैदा करने वाले लोग बेनकाब हो जायेंगे।
मांझी फैला रहे भ्रम-बीजेपी
बीजेपी के पेट में दर्द की बात कहने वाले मांझी की तरफ से आज एनडीए में को-ऑडिनेश कमिटी बनाने की मांग की गई है। मांझी की पार्टी के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने नीतीश सरकार में सबसे बड़े दल बीजेपी पर हमला बोला। लगे हाथ को-ऑडिनेश कमिटी बनाने की मांग भी उठा दी। हम ने कहा कि भाजपा के कुछ नेता सरकार को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं। वैसे लोग सरकार के ख़िलाफ़ बयानबाज़ी करके विपक्ष को मौका दे रहे हैं। इसलिए NDA में को-आर्डिनेशन कमिटी बने नहीं तो हालात खऱाब हो सकते हैं. मांझी की तरफ से इस मांग के बाद बीजेपी और भी आक्रामक हो गई है। पार्टी के प्रवक्ता प्रेमरंजन पटेल ने कहा कि बीजेपी-जेडीयू के बीच काफी अच्छा संबंध है। कुछ लोग भ्रम फैलाना चाहते हैं। दो बड़े दलों के बीच भ्रम फैलाने वाले लोग बेनकाब हो जायेंगे और अलग हो जायेंगे।