मिथिला मे आज से मधुश्रावणी शुरू हो गया है । नव-विवाहित कन्या आज से 15 दिन तक उपवास करेगी, फलाहार पर रहेगी और अपने पति के लम्बी उम्र के लिये विषहरा अर्थात नागदेवता की पुजा करेंगी । इस दौरान सुहागिन स्त्री पुरे मनोभाव से पन्द्रह दिन तक व्रत कर भक्तिभाव से पुजा पाठ करती है । आज यहॉं हम मधुश्रावणी के पहले दिन की कथा सुनाने जा रहे हैं । चुकिं ये मिथिला क्षेत्र का पर्व है इसलिये कथा भी मैथिली मे ही है ।
मौना पञ्चमी : एगो बूढ़ी स्नान करबा लेल धार कात गेली। ओ देखलनि जे धारमे पातपर पाँच गो जीव लहलहाइत दहा रहल अछि। ओ जीव बूढ़ीकेँ कहलकनि जे जाउ आ गाममे स्त्राीगणकेँ कहियनु जे आइ मौना पञ्चमी अछि। आइ पवित्रता पूर्वक स्नान-ध्यान करथि। चिक्कनि माटि आनि घर-आङनकेँ पवितासँ नीपथि। ओहि माटिक पाँच गो थुम्हा बनाबथि। ओहिपर सिनूर-पिठार लगा दूभि साटि देथु। नव बासनमे खीर-घोरजाउर बनाबथि।
बिसहराक पूजा कऽ हुनका दूध-लाबा चढ़ाबथि। खीर, घोरजाउरक उसरगि देथि। नेबो, आमक पखुआ, नीमक पात आदि चढ़ाबथि। घरक दुआरिक दुनू भाग गोबरसँ फेँच काढ़ने नागक आकृति बनाबथि। ओकरा मुँहमे दही-दूभि लगाबथि। आइ तीत खाथि। जे एहि तरहेँ मौना पञ्चमी पाबनि मनेती तिनका सभ तरहक कल्याण हेतनि। एना नञि केनिहारिकेँ नोकसान हेतनि।
जखन स्नान कऽ बूढ़ी गाम घुरली तँ ओ सभकेँ एकर जानकारी देलनि। किछु गोटे बूढ़िक बातपर विश्वास नञि केलनि आ पाबनि नञि मनेलनि। ओतहि बहुतो गोटे हुनका बातपर विश्वास कऽ जाहि रूपेँ कहल गेल छल तहिना मौना पञ्चमी मनेलनि। जे सभ पाबनि केलनि से सभ तँ सुरक्षित रहला आ जे सभ पाबनि नञि केलनि ओ सभ रातिमे मरि गेला। तखन लोक सभ बूढ़ी लग पहुँचल आ हुनकासँ एकर उपाय पुछलनि। बूढ़ी फेर धार लग गेली आ ओहि ठाम चिकनी पातपर लहलह करैत ओहि जीवकेँ सभटा बात कहि उपाय पुछलनि।
ओ पाँचो जीव पाँचो बहिन बिसहरा छली। परिचय जानि बूढ़ी हुनका प्रणाम केलनि आ मरल लोक सभकेँ जीवन देबाक आग्रह केलनि। तखन बिसहरा कहलनि जे गाममे जँ ककरो ओहि ठाम बासनमे खीर-घोरजाउर लागल रहि गेल हो तँ ओकरा मरल लोक सभक मुँहमे लगा देबै ओ सभ जीबि जायत। सभकेँ कहबै जे अगिला पञ्चमीकेँ जखन नागपञ्चमी होयत तँ ओहि दिन नियमसँ पाबनि मनाबथि। बूढ़ि गाम आबि सभटा बात कहलनि आ सभ मरल लोकक मुँहपर खीर-घोरजाउर लगायल गेल। सभ जीबि उठला। नागपञ्चमी दिन पाबनि मनेलनि आ मड़रय कहाय लगला।
बिसहराक जन्म : महादेव आ गौरी सरोवरमे जल-क्रीड़ा कऽ रहल छला। एही बीच ओ स्खलन भऽ गेलनि। महादेव ओकरा पुरैनिक पातपर राखि देलनि जाहिसँ विसहरा पाँचो बहिनिक जन्म भेलनि। महादेवकेँ पाँचोपर सन्तानवत स्नेह उमड़ि एलनि। ओ रोज सरोवर जाथि आ पाँचो बहिनिक संग खेलाथि। एमहर गौरीकेँ महादेवपर सन्देह भेलनि जे ओ नहाय लेल जाइ छथि तँ बड़ी काल किए लगबै छथि? एक दिन ओ चुपेचाप महादेवक पछोड़ धेलनि। नुका कऽ देखलनि जे महादेव साँपक पाँचो पोआ संग खेला रहल छथि।
गौरी कुपित भऽ गेली आ पाँचो पोआकेँ पैरसँ पीचऽ लगली तँ महादेव मना केलनि आ कहलनि जे ई पाँचो मारबाक पात्र नञि छथि। ई पाँचो अहाँक पुत्री थिकी। ई सभ अहाँक संग सभक उपकार करती। सभक कष्ट दूर करती। हिनका सभक पूजा साओन मासमे पृथ्वीपर हेतनि। जे एहि पाँचो बहिनिक पूजा करता तिनकर सभ तरहेँ कल्याण हेतनि। महादेव कहलनि जे एहि पाँचोक नाम ओ जया, बिसहरि, शामिलबारी, देव आ दोतलि रखलनि अछि।
प्रस्तुति : अमलेन्दु शेखर पाठक