वशिष्ठ बाबू को श्रंद्धाजलि देने पहुँचे नेताओं की भाव भंगिमा देखिये। गज्जब के उल्लास में है सब । ये उस समय और ज्यादा उल्लास में होते हैं जब मीडिया में किसी भी वजह से इनका नाम छपता है ।
बिहार और बिहार के नेता कभी नहीं सुधार सकते है। पहले pmch में वशिष्ठ बाबू का शरीर एम्बुलेंस के अभाव में घंटो नाले के पास पड़ा रहा तो दूसरी ओर अंतिम संस्कार में पहुंचे बिहार के कई नेता दांत चिड़ार कर गंगा घाट पर हंसते नजर आए। हिन्दू धर्म के अनुसार किसी की अंतिम यात्रा के दौरान इस तरह का आचरण सरासर गलत है।
महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का शुक्रवार सुबह राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हुआ। भोजपुर जिले के बसंतपुर गांव में स्थित पैतृक आवास से अंतिम यात्रा निकली। अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए। इससे पहले पैतृक आवास पर अंतिम दर्शन के लिए लोगों की भीड़ उमड़ी।
अंतिम यात्रा के दौरान सड़क किनारे दोनों ओर लोग वशिष्ठ नारायण के अंतिम दर्शन के लिए खड़े रहे। गंगा नदी किनारे महुली घाट पर अंतिम संस्कार हुआ। भतीजे ने मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार के समय जिला प्रशासन और स्थानीय नेता मौजूद रहे। भोजपुर के लोगों ने नम आंखों से वशिष्ठ नारायण को विदाई दी।
जानकारी के मुताबिक, गणित का सूत्र पिरो कर आइंस्टीन के सिद्धांत को चुनौती देनेवाले महान गणितज्ञ डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह के पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए शुक्रवार की सुबह उनके पैतृक आवास जिले के बसंतपुर स्थित घर में रखा गया। सुबह से ही लोगों के आनेवालों का तांता लगा रहा। करीब नौ बजे बैंड बाजे के साथ डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह की शव यात्रा निकाली गयी। शव यात्रा में भारी जन सैलाब उमड़ पड़ा था। शव यात्रा में शामिल लोग ‘डॉ वशिष्ठ अमर रहे’, ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, तब तक वशिष्ठ सिंह का नाम रहेगा’ गूंजता रहा। इसके बाद भोजपुर के लाल डॉ वशिष्ठ के पार्थिव शरीर को लेकर महुली घाट पहुंचे। यहां पहुंचने पर प्रशासनिक अधिकारियों और सैकड़ों लोगों की मौजूदगी महान गणितज्ञ डॉ वशिष्ठ नारायण सिंह को राजकीय सम्मान के साथ श्रद्धांजलि दी गयी। इसके बाद वशिष्ठ नारायण सिंह के छोटे भाई अयोध्या प्रसाद सिंह के बेटे मुकेश कुमार ने अंतिम संस्कार की रस्म अदायगी करते हुए महान गणितज्ञ के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि दी। इसके साथ ही वशिष्ठ नारायण सिंह पंचतत्व में विलीन हो गये ।