बिहार में आजकल नई राजनीति शुरू है । पक्ष के साथ विपक्ष भी एक जुट हो रहा है । सबका बस एक ही नारा है जातिगत जनगणना की । नीतीश कुमार ने इसकी वकालत की तो राजद और अन्यै दल भी जुड़कर अपनी राजनीति करने लगे । मकसद केवल एक ही है, दलित और पिछड़ों के कंधे पर बंदूक रखकर सत्ता़ को चुनौती देना ।
जातीय जनगणना को लेकर बिहार में सियासत जारी है। इसको लकेर बिहार के विपक्षी दल खासकर राजद लगातार केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर है। साथ ही राजद ने इसको लेकर पूरे बिहार में प्रदर्शन भी किया है। वहीं जातीय जनगणना का समर्थन सत्ता पक्ष की जदयू, जीतन राम मांझी की हम पार्टी और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी भी कर रही है। इस बीच राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट कर एक नई बहस छेड़ दी है।
राजद सुप्रीमो लालू यादव ने ट्वीट करते हुए कहा है कि अगर 2021 जनगणना में जातियों की गणना नहीं होगी तो बिहार के अलावा देश के सभी पिछड़े-अतिपिछड़ों के साथ दलित और अल्पसंख्यक भी गणना का बहिष्कार कर सकते हैं।
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा है कि जनगणना के जिन आँकड़ों से देश की बहुसंख्यक आबादी का भला नहीं होता हो तो फिर जानवरों की गणना वाले आँकड़ों का क्या हम अचार डालेंगे? अगर 2021 जनगणना में जातियों की गणना नहीं होगी तो बिहार के अलावा देश के सभी पिछड़े-अतिपिछड़ों के साथ दलित और अल्पसंख्यक भी गणना का बहिष्कार कर सकते हैं।
बता दें कि जातीय जनगणना को लेकर बिहार विधान सभा में दो बार प्रस्ताव पास किया गया है। जातीय जनगणना के मामले राजद और जदयू की भाषा एक है। इसके लिए सीएम नीतीश ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। वहीं जातीय जनगणना को लेकर पूरे बिहार में राजद प्रदर्शन भी की है। साथ ही मुकेश सहनी की पार्टी और जीतन राम माझी की पार्टी भी जातीय जनगणना की मांग को समर्थन कर रही है।
वहीं लोकसभा में केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने एक सवाल के जवाब में स्पष्ट कर दिया है कि देश में जातीय जनगणना की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा था कि देश में सिर्फ अनुसूचित जाति और जनजाती की ही 2021 में जनगणना होगी। इसके बाद से बिहार में जातीय जनगणना की मांग को लेकर लगातार बिहार में सियासत हावी है। वहीं जतीय जगणना की मांग का समर्थन ओडिशा और महाराष्ट्र की सरकार भी कर रही है।