साक्षी
आज 11जून को बिहार राज्य के राजनेता व राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष, लालू प्रसाद यादव अपना 73 वा जन्मदिन मना रहे है। लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन के मौके पर बेटे तेजस्वी यादव उनसे मिलने रांची रिम्स पहुंचे। बेटे को देखकर लालू की आंखें चमक उठी। वे काफी खुश दिखे। लालू प्रसाद यादव के 73 वें जन्मदिन के अवसर पर रिम्स परिसर में लालू किचन में तैयारी जोरों पर दिखी। यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए 73 पौंड का केक भी गरीबों के बीच काटा गया। साथ ही साथ गरीबों के लिए पूड़ी, खीर, सब्जी और बुंदिया बांटे गए। इसको लेकर आज सुबह से ही आरजेडी कार्यकर्ताओं के द्वारा लालू किचन में कार्य करते हुए देखे गए।
लालू प्रसाद यादव के 73वें जन्मदिन पर कार्यकर्ताओं में काफी उत्साह दिखा। आरजेडी परिवार के अलग ही खुशी का माहौल है लालू यादव के जन्मदिन के मौके पर, यादव परिवार की ओर से आज 5लाख से भी अधिक लोगों को भोजन कराया गया है और साथ ही साथ राजद ने लालू प्रसाद का जन्मदिन गरीब सम्मान दिवस के रूप में मनाया है। इस अवसर पर बिहार के सभी प्रखंड मुख्यालयों और अन्य जगहों पर भोज का आयोजन किया गया। राजद कार्यकर्ताओं ने इस खुशी के मौके पर भोजन करने आये लोगों को उपहार से सम्मानित कर के खुशी जाहिर भी की।
फिलहाल अभी लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले के मामले में सजा काट रहे है। उनके जीवनी पर गौर करें तो वे 1990 से 1997 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। बाद में उन्हें 2004 से 2009 तक केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार में रेल मन्त्री का कार्यभार सौंपा गया। जबकि वे 15वीं लोक सभा में सारण (बिहार) से सांसद थे। बिहार के गोपालगंज में एक साधारण यादव परिवार में जन्मे यादव ने राजनीति की शुरूआत जयप्रकाश नारायण के जेपी आन्दोलन से की जब वे एक छात्र नेता थे और उस समय के राजनेता सत्येन्द्र नारायण सिन्हा के काफी करीबी रहे थे। 1977 में आपातकाल के पश्चात् हुए लोक सभा चुनाव में लालू यादव जीते और पहली बार 29 साल की उम्र में लोकसभा पहुँचे। 1980 से 1989 तक वे दो बार विधानसभा के सदस्य रहे और विपक्ष के नेता पद पर भी रहे।
अपनी बात कहने का लालू यादव का खास अन्दाज है। बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गालों की तरह बनाने का वादा हो या रेलवे में कुल्हड़ की शुरुआत, लालू यादव हमेशा ही सुर्खियों में रहे। इन्टरनेट पर लालू यादव के लतीफों का दौर भी खूब चला।
1990 तक, प्रसाद ने राज्य की 11.7% आबादी के साथ यादव के सबसे बड़े जातियों का प्रतिनिधित्व किया, जो खुद को निम्न जाति के नेता के रूप में स्थापित करता है। दूसरी तरफ बिहार में मुसलमान परंपरागत रूप से कांग्रेस (आई) वोट बैंक के रूप में कार्यरत थे, लेकिन 1989 के भागलपुर हिंसा के बाद उन्होंने प्रसाद के प्रति अपनी वफादारी बदल दी। 10 वर्षों की अवधि में, वह बिहार राज्य की राजनीति में एक ताकतवर बल बन गया, जो कि मुस्लिम और यादव मतदाताओं में उनकी लोकप्रियता के लिए जाना जाता है।1990 में वे बिहार के मुख्यमंत्री बने एवं 1995 में भी भारी बहुमत से विजयी रहे। 23 सितंबर 1990 को, प्रसाद ने राम रथ यात्रा के दौरान समस्तीपुर में लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार किया,और खुद को एक धर्मनिरपेक्ष नेता के रूप में प्रस्तुत किया। 1990 के दशक में आर्थिक मोर्चे पर विश्व बैंक ने अपने कार्य के लिए अपनी पार्टी की सराहना की। 1993 में, प्रसाद ने एक अंग्रेजी भाषा की नीति अपनायी और स्कूल के पाठ्यक्रम में एक भाषा के रूप में अंग्रेजी के पुन: परिचय के लिए प्रेरित किया, इसके विपरीत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, एक और यादव और जाति आधारित राजनीतिज्ञ। अंग्रेजों को विरोध करने की नीति एक विरोधी कुलीन नीति माना गया क्योंकि दोनों यादव नेताओं ने इसी सामाजिक घटकों का प्रतिनिधित्व किया, पिछड़ा जातियां, दलितों और अल्पसंख्यक समुदायों।
लालू प्रसाद यादव मुख्यतः राजनीतिक और आर्थिक विषयों पर लेखों के अलावा विभिन्न आन्दोलनकारियों की जीवनियाँ पढ़ने का शौक रखते हैं। वे बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं। लालू यादव ने एक फिल्म में भी काम किया जिसका नाम उनके नाम पर ही है।जुलाई, 1997 में लालू यादव ने जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल के नाम से नयी पार्टी बना ली। गिरफ्तारी तय हो जाने के बाद लालू ने मुख्यमन्त्री पद से इस्तीफा दे दिया और अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का मुख्यमन्त्री बनाने का फैसला किया। जब राबड़ी के विश्वास मत हासिल करने में समस्या आयी तो कांग्रेस और झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने उनको समर्थन दे दिया। आज लालू यादव और उनका पूरा परिवार सुर्ख़ियों में है अपने तरह तरह के विपक्षी बयानों को लेकर। उनके जन्मदिन पर उनकी लंबी स्वस्थ की कामना है सभी लोगों की।