बिहार में कोसी ने जो काला अध्याय लिखा था आज उसके बारह साल पूरे हो गए हैं । आज ही के दिन सन 2008 में कुसहा ने बिहार को तहस नहस कर दिया था । उस दिन का मंजर ऐसा है कि याद करके आज भी कलेजा मुँह को आ जाता है । एकाएक से बांध टूटा और सैकड़ों गाँव बरबाद हो गए । चारो तरफ पानी ही पानी, बालू ही बालू ।
सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी तो लाखों लोग बेघर हो गए थे। 18 अगस्त, 2008 को नेपाल के कुसहा गांव के समीप लगभग दो किलोमीटर की लंबाई में तटबंध (Koshi Dam) के बह जाने से नेपाल (Nepal) के 34 गांव समेत पूर्वोत्तर बिहार के 441 गांवों की बड़ी आबादी बाढ़ की चपेट में आई थी। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस बाढ़ से सहरसा जिले में 41, मधेपुरा में 272 और सुपौल जिले में 213 लोगों की मौ’त हुई थी, लेकिन अब तक 526 मृ’तक के परिजनों को एक साथ ढाई लाख रुपए की राशि नहीं मिली।
बांध की मरम्मत में लापरवाही से हुआ था हादसा
पन्नों को पलटते हैं तो तटबंध के 12.10 स्पर व 12.90 स्पर पर कोसी ने 2007 में ही खतरे की घंटी बजा दी थी। 27 अक्टूबर 2007 को जब कोसी उच्चस्तरीय समिति ने तटबंध का निरीक्षण किया तो इन बिंदुओं पर जीर्णोद्धार का कार्य, पांच नग स्टड निर्माण आदि की अनुशंसा की गई। कार्य 15 जून से पूर्व ही करा लिए जाने का निर्देश दिया गया था। सरकार द्वारा गंगा बाढ़ नियंत्रण को भेजी गई सूचना के अनुसार 15 जून 2008 को कार्य करा भी लिया गया लेकिन कार्य में ऐसी लापरवाही हुई कि 12.90 किमी स्पर पर पांच अगस्त से और 12.10 किमी स्पर पर 7 अगस्त से कटाव शुरू हो गया।
15 अगस्त को ही विकराल हो गई थी कोसी
इस बीच कोसी उग्र होती गई और सरकारी महकमा बांध को सुरक्षित बताता रहा। 15 अगस्त तक कोसी विकराल हो गई। अपने बचाव में विभाग ने नेपाल के एक थाने में काम में व्यवधान किए जाने का मुकदमा दर्ज करा दिया। कोसी पर बहस-मुबाहिसे, विधानसभा में आंकड़ों की उठापटक और राजनीतिक बयानबाजियां हमेशा होती रहीं परंतु सर्वांगीण रूप से तटबंधों की ऐसी सुरक्षा जिससे भविष्य में कोई बड़ी बर्बादी नहीं हो ऐसा कोई कारगर उपाय कभी किया ही नहीं गया।
18 अगस्त को आया था जल प्रलय
18 अगस्त को कोसी ने बांध को लांघ दिया और उससे हुई बर्बादी पूरा देश जानता है। तब सरकार ने वादा किया था कि पहले से बेहतर कोसी बनाएंगे लेकिन सपने आज भी अधूरे हैं। सुपौल जिले के पांच प्रखंडों के 173 गांव जलमग्न हो गए, इसमें 6,96,816 लोग और 1,32,500 पशु प्रभावित हुए। 0.43458 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में लगी फसल बर्बाद हो गई। 0.07854 गैर कृषि योग्य भूमि प्रभावित हुई। जहां गाड़ियां सरपट दौड़ती थी वहां नावें चलने लगीं। बाढ़ के बाद भी स्थिति इतनी विकराल थी कि लोग अपने ही घर का पता पूछते थे।
बाढ़ ने जितना विकराल रूप दिखाया सरकार ने भी अपनी तरफ से इससे राहत के तमाम उपाय किए। फसल क्षति, गृह क्षति, खेतों से बालू निकासी आदि कार्यक्रम चले, फिर भी सैकड़ों लोग ऐसे अनुदान से वंचित ही रह गए। कोसी क्षेत्र के पुनर्निर्माण का सरकार ने संकल्प तो लिया, लेकिन इस पर कुछ खास हुआ हो, आज भी इसका इंतजार है।