बिहार का मिथिला क्षेत्र अपनी लोक संस्कृति के कारण प्राचीन काल से प्रचलित रही है। तभी तो यहां एक से एक विद्वानों ने जन्म लिया है। यहां की लोक परम्परा की बात करें तो यह सदियों से प्रकृति बचाओं का संदेश दे रही है। इससे से संबंधित कई ऐसे लोक पर्व यहां मनाए जाते हैं जो अपने आप में अद्भुत है। जानकारों की माने तों आज पखेब है। इसे सुकराती या हुरियाहा भी कहा जाता है।
आज के दिन जनवरों को नहलाने के बाद उनकी रस्सियां बदली जाएगी। पीठ और सींग पर रंग लगाया जाएगा। गांव के बाहर भैंस और सूअर के बीच युद्ध का आयोजन किया जाएगा। हर पालो को भी पूजा जाएगा। हालांकि दिन प्रतिदिन ग्रामीण क्षेत्रों में भी इस परम्परा के प्रति लोग उदासीन नजर आ रहे हैं। इसका एक कारण यह भी है कि ट्रैक्टर आने के बाद लोगों ने जानवर पालने बंद कर दिए हैं।
हिंदू धर्म में हर साल दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा करने का विधान बताया गया है। गोवर्धन पूजा प्रति वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को की जाती है। इस साल यह पूजा 28 अक्टूबर यानी आज की जाएगी । गोवर्धन पूजा के दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। हालांकि गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करने के कुछ खास नियम भी बताए गए हैं। जिनका पालन न करने पर व्यक्ति को पूर्ण फल की प्राप्ति नहीं होती है। आइए आज इस शुभ दिन अगर आप भी भगवान कृष्ण की कृपा पाना चाहते हैं तो गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते समय भूलकर भी न करें ये 7 बड़ी गलतियां।
गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा से जुड़े नियम-
1-गोवर्धन परिक्रमा करते समय इस बात का ध्यान हमेशा रखें कि आपने जहां से परिक्रमा करनी शुरु की है वहीं से आपको गोवर्धन परिक्रमा समाप्त भी करनी चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने पर ही व्यक्ति को गोवर्धन परिक्रमा का फल प्राप्त होता है।
2-गोवर्धन परिक्रमा शुरु करने से पहले मानसी गंगा में स्नान अवश्य कर लेना चाहिए। अगर ऐसा करना संभव न हो तो हाथ मुंह धोकर भी आप परिक्रमा शुरु कर सकते हैं।
3-विवाहित लोगों को परिक्रमा हमेशा जोड़े में ही करनी चाहिए। इसके अलावा गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते समय हमेशा पर्वत को अपने दाईं और ही रखें।
4-गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा कभी भी अधूरी छोड़ने की गलती न करें। शास्त्रों में कहा जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति पाप का भागीदार बनता है। यदि किसी कारण से परिक्रमा अधूरी छोड़नी पड़े तो जहां से आप परिक्रमा अधूरी छोड़ रहे हैं वहीं जमीन पर माथा टेककर भगवान श्री कृष्ण से क्षमा मांगकर उन्हें प्रणाम करके उनसे परिक्रमा समाप्ती की अनुमति लें।
5-गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा जहां तक हो सके सांसारिक बातों को त्याग कर पवित्र अवस्था में हरिनाम व भजन कीर्तन करते हुए ही करनी चाहिए।
6-गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते समय किसी भी प्रकार का धूम्रपान या कोई नशीली वस्तु का सेवन नहीं करना चाहिए।
7-गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते समय गोवर्धन पर्वत को अपनी दाईं और ही रखें। शास्त्रों के अनुसार जिस वस्तु की परिक्रमा की जाती है उस वस्तु को हमेशा दाईं तरफ रखकर परिक्रमा की जानी चाहिए।
गोवर्धन पूजा क्यों की जाती है ?
पौराणिक कथानुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्र का अभिमान चूर करने के लिये गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर गोकुल की रक्षा की थी । इन्द्र का अभिमान चूर करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुल वाशियों से कहा था कि, कार्तिक शुल्क प्रतिपदा के दिन 56 भोग लगाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करें । गोवर्धन पर्वत से गोकुल वासियों को पशुओं के लिये चारा मिलता है । और यही पर्वत बादलों को रोककर वर्षा करवाता है । इसलिये गोवर्धन की पुजा करनी चाहिये । तभी से गोवर्धन पुजा के दिन अन्नकूट बनाकर गोवर्धन और भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है ।