कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि के स्नातकोत्तर ज्योतिष विभाग के प्राे. डॉ. कुणाल कुमार झा ने बताया कि 17 अक्टूबर की सुबह 8.38 से 10.55 तक कलश स्थापन का सर्वोत्तम लग्न है। वैसे दिन के 1 बजे तक श्रद्धालु कलश स्थापन कर सकते हैं। 18 अक्टूबर को रेमंत पूजा का विधान है। पत्रिका पूजा यानी बेल न्योति 22 अक्टूबर को है। 23 अक्टूबर को दिन में 11.20 तक सप्तमी तिथि रहेगी। इसके बाद अष्टमी का प्रवेश हो जाएगा। इसलिए निशा पूजा यानी संधि पूजा इसी रात में होगी। इस दिन दीक्षा ग्रहण का भी उत्तम योग है।
24 अक्टूबर को महाष्टमी व्रत होगा। 25 अक्टूबर को त्रिशुलनी पूजा व महानवमी व्रत होगा। इसके बाद 26 अक्टूबर को अपराजिता पूजा के साथ ही विजया दशमी है। इस दिन 11.43 बजे से पूर्व तक देवी विसर्जन, जयंती धारण के साथ ही नवरात्रा व्रत का पारण का संयोग है। इसके बाद 30 अक्टूबर को मिथिलांचल को लोकपर्व कोजागरा है। संध्या 7.08 बजे के बाद रात्रिभर लक्ष्मी पूजा आदि का योग है। इस दिन भी दीक्षा ग्रहण का सुंदर योग है। 31 अक्टूबर को आदि कवि बाल्मीकी की जयंती है।