
लोक जनशक्ति पार्टी में चाचा पशुपति कुमार पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच जो राजनीतिक रार फिलहाल चल रही है, इससे न सिर्फ बिहार की सियासत में उबाल है, बल्कि केंद्र की पॉलिटिक्स में भी नये समीकरण को लेकर कयासबाजियां चल रही हैं. बीते कुछ समय से राजनीतिक मामलों पर चुप्पी साधे रहे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के युवा नेता कन्हैया कुमार ने भी लोजपा में हो रही इस नूरा कुश्ती पर अपने अंदाज में प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इस ‘पारिवारिक-राजनीतिक महाभारत’ के लिए भारतीय जनता पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है.
कन्हैया कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि सत्ता में जब भी कोई बड़ा रिक्त स्थान होता है तो उसपर अगली दावेदारी को लेकर उठापटक हर दल में हुआ करता है. मुझे लगता है कि पार्टी कार्यालयों में जो भी नूरा-कुश्ती हो जाए, लेकिन अंतिम रूप से राजनीति किसके पक्ष में जाएगी, यह जनता तय करती है. पार्टी के पदाधिकारी कोई भी बन जाएं, लेकिन अंततः जनता का आदेश ही सर्वोपरि होगा.
कन्हैया कुमार ने आगे कहा कि रामविलास पासवान के निधन के बाद उनकी विरासत के लिए जनता अपना नेता किसे चुनती है, यह देखने वाली बात होगी. ऑफिस में बैठकर और टेबल कुर्सी लगाकर कोई नेता नहीं बनता है. मेरा मानना है कि जो जनता के बीच में जाएगा और जो जनता के सवालों को लेकर आगे बढ़ेगा, जनता उनको ही पसंद करेगी.

कन्हैया कुमार ने लोजपा में इस सियासी संग्राम के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि कहावत है कि ‘एक पत्थर से दो शिकार करना’. भाजपा फिलहाल वही काम कर रही है. असली खिलाड़ी भाजपा ही है. भाजपा की कोशिश यह है कि बिहार के भीतर सामाजिक न्याय का जो एक स्वर था, उसको धीरे-धीरे आपस में लड़ा कर अपने आप खत्म कर दिया जाए.
कन्हैया कुमार ने कहा कि पहले नीतीश, लालू यादव और रामविलास पासवान एक ही दल में थे. यह एक सामाजिक संतुलन था, यह आंदोलन था, यह जो सामाजिक संरचना थी, शोषण और अन्याय के खिलाफ यह आंदोलन खड़ा हुआ था. ये तीनों ही साथ थे. लेकिन, बाद के दिनों में यह आंदोलन आपस में अपने ही सवालों को लेकर, अपने हितों को लेकर तितर-बितर हो गया. भाजपा को अब इसमें लाभ लेने का अवसर मिला है और वह ले भी रही है.
कन्हैया कुमार ने बिहार का एक मशहूर कहावत सुनाते हुए कहा कि भाजपा अपने तरीके से राजनीतिक लाभ लेती है. अभी लोग नीतीश पर आरोप लगा रहे हैं. कुछ दिनों पहले लोग चिराग पर आरोप लगा रहे थे. देखियेगा कि कुछ दिनों के बाद लोग लालू परिवार पर आरोप लगाना शुरू कर देंगे. लेकिन, मुझे लगता है कि बिहार के भीतर राजनीतिक सत्ता को पूरे तरीके से अपने कब्जे में लेने की साजिश भाजपा कर रही है और सभी गेम प्लान के पीछे भाजपा के नेताओं का ही माइंड है.