द प्रिंट की पत्रकार ज्योति यादव आजकल सस्ती लोकप्रियता तलाश रहीं है. गंदी बाते कर और समाज में अश्लीलता फैला कर ज्योति यादव अपने आप को पॉपुलर करने में कोई कसर नहीं बाकी रहने दे रही. ज्योति यादव इन दिनों सस्ती शोहरत पाने के लिये बिहार के खिलाफ़ लगातार फ़िजूल के बाते कर रही है और लिख रही है. हाल में ही ज्योति यादव ने ऐसे कई मामलों पर लेख लिखा है जिसका कोई सर- पैर नहीं है.
सबसे पहले ज्योति ने बिहार के परिवारों को उल्टा- सीधा बोला और अपने लेख में कहा कि यहां के लोगो को अपने बच्चें से प्यार नही है और सुशांत मामले में रिया को बचाने के लिए खूब क़सीदे गढ़े. ज्योति ने फिर भोजपुरी को अश्लील साबित करने औऱ इसपर बैन लगाने की मांग को लेकर एक लेख लिखा जिसमें इंटरनेट पर अश्लिलता फैलाते हुए ज्योति यादव ने बिहार के प्रति जहर उगला. ताज़ा मामला यह है कि ज्योति ने फिर एक दूषित मानसिकता वाला लेख लिखा है जिसमें वो बता रही है की बिहार के भोजपुरी भाषी लोग इंटरनेट पर सिर्फ महिलाओं की योनि ढूढ़ते है. ज्योति अपने लेख में लिखती है कि जब अन्य भाषी लोग इंटरनेट पर कोविड और गुरू ग्रंथ साहिब खोज रहे थे उस समय बिहार के लोग इंटरनेट पर (बू*) जैसे अश्लील शब्द खोज रहे थे. हम पत्रकारीता के मर्यादा को समझते है इसलिये इन शब्दों को साफ तौर पर नहीं लिख सकते लेकिन बिहार को दूषित साबित करने के लिये ज्योति यादव ने इस शब्द को साफ – साफ लिख कर सस्ती लोकप्रियता और बिहार को बदनाम करने के लिये समाज मे खुद अश्लीलता फैलाने का काम किया है.
ज्योति यादव जैसी सस्ते पत्रकार को लगता है कि वो बिहार के प्रति दूषित मानसिकता फैला कर समाज मे नाम औऱ पहचान हासिल कर सकती है इसलिये ज्योति लगातार ऐसे घिनोने लेख लिख रही है. बिहार के प्रति नफ़रत और घृणा फैलाने के लिए ज्योति हर तरह के हथकंडो को अपना रही है. ज्योति यादव जैसे पत्रकारो का समाजिक विरोध जरूरी हो गया है क्योंकि इन्ही लोगो के वजह से बिहार के अस्मिता पर हमेशा सवाल उठता रहा है और बिहारी अन्य राज्य में मार खाते है.
ज्योति यादव जैसे हजारों लोग बिहार के प्रति नफ़रत और ज़हर पालते है वक्त रहते ज्योति यादव जैसे पत्रकारो को जवाब देना होगा नहीं तो इनकी मानसिकता बिहार के लिये घातक साबित होगी.
पाठकों की सुविधा के लिये हमने द प्रिंट का वो सक्रीन शॉट भी रख लिया है ।