बिहार सरकार सहित सूबे के विपक्ष दलों द्वारा जातिगत जनगणना कराने की मांग को केंद्र ने ठूकरा दिया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को दिए एक हलफनामे में यह स्पष्ट कर दिया है देश में कोई जातिगत जनगणना नहीं होगी। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना ‘सतर्क नीति निर्णय’ है। अब केंद्र के इस फैसले का असर बिहार की राजनीति पर भी पड़ने की संभावना जताई जा रही है।
बता दें कि लगभग एक माह पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार के तमाम राजनीतिक पार्टियों के एक दल ने पीएम से मुलाकात कर जातिगत जनगणना कराने की मांग की थी, लेकिन केंद्र ने अपने जवाब से बिहार सरकार को बड़ा झटका दिया है।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट में
सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे सरकार ने कहा है कि सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना (एसईसीसी), 2011 में काफी गलतियां एवं अशुद्धियां हैं। महाराष्ट्र की एक याचिका के जवाब में उच्चतम न्यायालय में हलफनामा दायर किया गया। महाराष्ट्र सरकार ने याचिका दायर कर केंद्र एवं अन्य संबंधित प्राधिकरणों से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित एसईसीसी 2011 के आंकड़ों को सार्वजनिक करने की मांग की और कहा कि बार-बार आग्रह के बावजूद उसे यह उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है।
जनगणना के लिए पिछले साल तैयार हो गया था प्रारुप, इसमें बदलाव संभव नहीं
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सचिव की तरफ से दायर हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र ने पिछले वर्ष जनवरी में एक अधिसूचना जारी कर जनगणना 2021 के लिए जुटाई जाने वाली सूचनाओं का ब्यौरा तय किया था और इसमें अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति से जुड़े सूचनाओं सहित कई क्षेत्रों को शामिल किया गया लेकिन इसमें जाति के किसी अन्य श्रेणी का जिक्र नहीं किया गया है। सरकार ने कहा कि एसईसीसी 2011 सर्वेक्षण ‘ओबीसी सर्वेक्षण’ नहीं है जैसा कि आरोप लगाया जाता है, बल्कि यह देश में सभी घरों में जातीय स्थिति का पता लगाने की व्यापक प्रक्रिया थी।
बिहार में आने लगी प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट में जहां एक तरफ केंद्र द्वारा जातिगत जनगणना का विरोध जताया गया था, वहीं दूसरी तरफ राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने यह मांग कर दी है कि अगर जातिगत जनगणना में एससी-एसटी और ओबीसी के लोगों की संख्या अधिक होती है, तो आरक्षण के 50 प्रतिशत की सीमा को खत्म करना होगा। हालांकि केंद्र के हलफनामे को लेकर नीतीश कुमार ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।