बिहार में एक कहावत प्रचलित है । यहाँ के शिक्षक पढ़ाई छोड़कर बांकि सारा काम करते हैं । जनगणनना से लेकर पशुगणना तक । जाति से शौचालय गिनती तक । सभी काम मास्टर साहेब के जिम्मे होता है । शिक्षा विभाग ने अब इन मास्टरों को एक नई जिम्मेदारी दी है । एमडीएम में प्रयुक्त हुए चावल के खाली बोरी बेचने का काम । अगर इन मास्टरों ने समय पर बोरी नहीं बेचा उनपर कार्रवाई होगी ।
इन्ही सब को देखते हुए शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष ने एमडीएम के चावल की बोरी गली-गली घुमकर बेचने लगे । बोले-10 रुपए में ले लो, नहीं तो वेतन रुक जाएगा । वर्ष 2014-15 और 2015-16 में विद्यालयों को उपलब्ध चावल की खाली बोरी को 10 रुपए में बेचने का था निर्देश । ‘मैं बिहार के सरकारी स्कूल का शिक्षक हूं। सरकार के आदेश पर खाली बोरी बेच रहा हूं।’ गले में तख्ती लटकाए घूम घूमकर कदवा प्रखंड अंतर्गत बौरा चौक में बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष मो. तमीजउद्दीन का मध्यान्ह भोजन का खाली बोरी बेचने का एक वीडियो वायरल हुआ है।
वित्तीय वर्ष 2014-15 और 2015- 16 में पदस्थापित कई शिक्षक सेवानिवृत्त हो चुके हैं और कई शिक्षकों का स्थानांतरण हो गया है उसके साथ इस आदेश के कारण उन्हें भीषण समस्या हो गई है। इस पर कार्रवाई की जाए।
मो तमीजउद्दीन, जिलाध्यक्ष, बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ, कटिहार
वायरल वीडियो में शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष के हाथ में तख्ती और कंधे और सिर में बोरी रखकर चिल्ला-चिल्ला कर 10 रुपए में बोरी ले लो आवाज लगा रहे हैं। शिक्षक वायरल वीडियो में यह भी कह रहे हैं कि 10 रुपए में बोरी ले लो बोरी, नहीं बिका तो वेतन रुक जाएगा। वही वायरल वीडियो में कई लोग शिक्षक से बोरी खरीद को लेकर बात भी करते हैं। उसके बावजूद फटी हुई बोरी देख कोई भी लोग खरीदते को तैयार नहीं है।
जिन स्कूलों ने बोरी बेच राशि जमा नहीं की उस पर होगी कार्रवाई गौरतलब है कि शिक्षा विभाग मध्यान्ह भोजन प्रशाखा द्वारा वित्तीय वर्ष 2014-15 और 2015-16 में विद्यालयों को उपलब्ध कराई गई चावल के खाली बोरी को 10 रुपए प्रति की दर से बिक्री कर राशि को जमा करने का निर्देश दिया गया है। साथ ही जिन विद्यालयों द्वारा बोरी की बिक्री कर राशि जमा नहीं की जाएगी तो उन पर कार्रवाई भी की जाने की बात कही गई है। शिक्षक तमीजउद्दीन का कहना है कि विद्यालयों में जो चावल के बोरी उपलब्ध कराई जाती है। वह अधिकतर कटी-फीे होती है। साथ ही विद्यालय में रखे रखे चूहे कुतर देते हैं। ऐसे में फटी हुई बोरी लोग नहीं खरीदते हैं। प्रारंभिक स्तर के विद्यालयों में छात्रों को बैठने के लिए विभाग द्वारा बेंच और डेस्क विद्यालयों को प्राप्त नहीं है। अगर कहीं है अभी तो अल्प मात्रा में है। जिस कारण बच्चे उन्हीं बोरी को लेकर बैठ जाते हैं। उस स्थिति में शिक्षक वैसे छात्रों से किस परिस्थिति में बोरा वापस लेंगे।