रेलवे में नौकरी दिलाने के नाम पर अब तक के सबसे बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। इस फर्जीवाड़े में पटना से लेकर आगरा और हाथरस तक के छात्र शिकार हुए हैं। फर्जीवाड़ा करने वाले गैंग ने जिन छात्रों को शिकार बनाया उनसे 2 करोड़ 44 लाख रुपए ठग लिए। हैरत की बात यह है कि फर्जीवाड़े के लिए प्लान इतना सटीक बनाया गया कि अभ्यर्थियों को ऑफर लेटर, जॉइनिंग लेटर के बाद ट्रेनिंग तक दी गई लेकिन यह सब कुछ फर्जी था।
फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह ने जिन अभ्यर्थियों को शिकार बनाया उनमें ज्यादातर आर्थिक रूप से कमजोर हैं। गरीब छात्रों को जालसाजी कर रेलवे में नौकरी के नाम पर फंसाया गया और उनसे रकम ऐंठ ली गई। जिन 40 छात्रों को रेलवे में नौकरी की जॉइनिंग कराई गई और ट्रेनिंग दिलाई गई उनका मेडिकल भी डॉक्टरों की मिलीभगत से कराया गया था। 3 महीने तक देहरादून के एक संस्थान में उनकी ट्रेनिंग कराई गई। इस दौरान उन्हें वेतन भी दिया गया लेकिन आखिरकार इस फर्जीवाड़े का सच सामने आ गया। दिल्ली की आर्थिक अपराध इकाई ने नौकरी देने के नाम पर फर्जीवाड़ा करने वाले इस गिरोह के मास्टरमाइंड रागिब फिरोज को ग्रेटर नोएडा से गिरफ्तार किया है। रागिब ने बड़े शातिराना तरीके से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया। वह जाल बिछाकर छात्रों को फंसता था और फिर उन्हें ऑफर लेटर, जॉइनिंग लेटर के बाद ट्रेनिंग तक के दिला देता था। गिरोह ने 40 छात्रों से 2 करोड़ 44 लाख की रकम ठगी है।
दिल्ली पुलिस आर्थिक अपराध इकाई से मिली जानकारी के मुताबिक रागिब नौकरी देने के नाम पर छात्रों से पैसे लेता था और फिर उन्हें बदले में धोखा मिलता था। रेलवे बोर्ड के बड़े अधिकारियों के साथ अपने रिश्ते बता कर नेटवर्क के लोग छात्रों को फंसाते थे। आर्थिक अपराध इकाई के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आरके सिंह के मुताबिक 3 महीने की ट्रेनिंग के बाद जब छात्र जमशेदपुर के टाटा नगर स्थित से डीआरएम ऑफिस पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि रेलवे में कोई नौकरी नहीं दी गई है। उनके पास जो नियुक्ति पत्र था वह भी फर्जी था। रेलवे बोर्ड ने ऐसी कोई वैकेंसी ही नहीं निकाली थी जिन पर उनकी बहाली की गई। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने गिरोह पर नकेल कसी और अब सरगना उसके हत्थे चढ़ चुका है।