प्रवासी बिहारियों की कोरोना जांच की रफ्तार बेहद धीमी, क्वारंटाइन सेंटर से घर चले जा रहे लोग, स्वास्थ्य मंत्री का दावा, विदेश से आये 80% की जांच हुई
बिहार में विदेश से और दूसरे प्रदेशों से आए लोगों की जांच एक बड़ी चुनौती है। यहां कोरोना संक्रमण की जांच की रफ्तार बेहद धीमी है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार 18 से 23 मार्च के बीच बिहार आये करीब 12 हजार व्यक्तियों को चिन्हित कर जांच की कार्रवाई शुरू की गई है। इसमें अबतक करीब तीन हजार व्यक्तियों की ही जांच की जा सकी है।
इनमें कई लोगों के बिहार से बाहर दूसरे राज्यों में भी होने के कारण जांच में कठिनाई हो रही है, उनसे जुड़ी जानकारी संबंधित राज्यों को भी भेजी जा रही है। वहीं, जो बिहार में हैं उनका भौतिक सत्यापन फोन नम्बर के आधार पर किया जा रहा है। इसके बाद जांच टीम को भेजकर उनके सैम्पल लिये जा रहे हैं। जो स्वस्थ है उनको होम क्वारंटाइन में रखा गया है। दिल्ली के तब्लीगी मरकज मामले से जुड़े निजामुद्दीन हॉट स्पॉट के 4897 यात्रियों की भी जांच अबतक पूरी नही हुई है। इसकी सूची केंद्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए हुए 4 दिन हो चुके है।
सूत्रों की मानें तो इनमें जो भी फोन नम्बर उपलब्ध कराए गए है, उनकी जांच की जा रही है। इनमें अधिकांश ऐसे व्यक्तियों के जो नंबर हैं वह रजिस्टर्ड बिहार के पते पर हैं पर अभी वह पंजाब में है या दिल्ली में। जिलों से राज्य स्वास्थ्य समिति को भेजे जा रहे रिपोर्ट में इसका जिक्र किया जा रहा है। समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार के अनुसार 3 से 4 दिनों में सभी का भौतिक सत्यापन कर उनकी जांच शुरू की जाएगी।
दूसरे प्रदेशों से लॉकडाउन के दौरान बिहार लौटे लोगों की पहचान कर जिनमें कोरोना के लक्षण पाए गए थे उन्हें पंचायत और जिलों में बनाये गए क्वारंटाइन स्थल पर रखा गया। किंतु वे शाम के बाद अपने घरों में लौट जा रहे है। फिर अगले दिन वापस भी आ जाते हैं। पश्चिम चंपारण सहित 1-2 अन्य जिलों में ऐसी शिकायतें पायी गयी हैं। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेवारी स्वास्थ्य जांच कराना है। लोगों की तलाश की जिम्मेवारी गृह विभाग और आपदा प्रबंधन को सौंपी गई है।