रात के 10 बजे ही होंगे कि आकाश में बादल गरजने की आवाज सुनायी देने लगी। कुछ ही देर में मधुबनी में आँधी, तूफान, तेज बारिश और बर्फ के पत्थर भी गिरने लगे। कोरोना के लेकर हुए लॉक डाउन में मधुबनी के सभी लोग घरों में थे तभी अचानक आँधी, तूफान के साथ तेज बारिश शुरू हो गयी।
इस बारिश में बर्फ के बड़े बड़े पत्थर भी गिरे। बारिश शुरू होते ही सभी लोग डर गए और अपने अपने घर से निकल कर बारिश और उसके साथ गिरते हुए ओले को देखने लगे। वर्फ़ के गिरे हुए ओले को जमा कर बच्चों इस लॉक डाउन बहुत खुश दिखे। लेकिन बारिश और उसके साथ पड़े ओले से जहाँ आम, लीची और अन्य फसल के नुकसान की आशंका है वहीं ये बारिश आम आदमी को गर्मी से राहत भी देगी।
बिहार के कई जिलों में मूसलाधार बारिश के साथ गिरे 200 से 250 ग्राम के बड़े-बड़े पत्थर : कोरोना संकट के बीच बिहार के कई जिलों में तेज आंधी तूफान मूसलाधार बारिश के साथ पत्थर गिरे हैं। मधुबनी, दरभंगा, सीतामढ़ी सहित कई जिलों में प्रकृति का रौद्र रूप देखने के लिए मिला है। जिसमें अबसे अधिक मधुबनी जिला प्रभावित हुआ है। ओलावृष्टि की भयावहता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जहां भी पत्थर गिरे हैं उस जगह तबाही ही तबाही नजर आ रही है। फुस के मकान, एस्बेस्टस के बनें मकान ओलावृष्टि में छत विछत हो चुके हैं। लोगों के सिर से छत का आशियाना छीन गया है।
बेजुबान जानवरों पर आफत आई है। पत्थर की चोट से पक्षियों की जान चली गई है। आसमानी आफत पत्थरों का वजन कहीं 200 से 250 ग्राम तो कुछ जगहों पर 400 ग्राम तक बताया जा रहा है। इस आपदा की घड़ी में सबसे बड़ी मार किसानों को पड़ी है। खेतों में लगे सभी फसल नष्ट हो गए।
मौसम के बदले मिजाज के साथ आई आंधी व बारिश ने कोरोना संकट में जमकर तबाही मचाई है। गेहूं के साथ मक्का, आम, लीची, केला फसल को व्यापक क्षति पहुंची है। आंधी के साथ जमकर हुई बारिश के कारण खेतों मे लगी मक्का और केले की फसल जमीन पर गिर गई है। जबकि तेज आंधी के कारण आम व लीची फसल का व्यापक नुकसान हुआ है। आंधी की रफ्तार 35-40 किलोमीटर बताई जा रही है।