कोरोना संकट के कारण दूसरे राज्यों से लाखों की संख्या में आए श्रमिक व कामगार को बिहार में ही रोजगार मिले, सरकार संभावना तलाश रही है। जिन औद्योगिक इकाइयों में मैनपावर की जरूरत अधिक होगी, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी। दूसरे राज्यों के उन औद्योगिक इकाइयों को जिनमें बिहार के श्रमिक और कामगार अधिक थे, अगर वे उद्यमी बिहार में शिफ्ट हाेना चाहेंगे, तो उन्हें शिफ्टिंग खर्च सरकार दे सकती है। उन्हें बिहार औद्योगिक नीति-2016 के तहत जो सुविधाएं आम उद्यमियों को मिल रही हैं, वह भी दी जाएंगी। लकड़ी उद्योग को औद्योगिक नीति-2016 की निगेटिव उद्योग की सूची से बाहर कर प्राथमिक सूची में रखा जा सकता है। औद्योगिक प्रोत्साहन नीति-2016 में संशोधन का प्रस्ताव लगभग तैयार है। कैबिनेट की बैठक में इस पर विचार हो सकता है।
संगठनों ने भी की नीति में समीक्षा की मांग
औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति-2016 की मध्यावधि समीक्षा की मांग उद्यमी पंचायत में राज्य के औद्योगिक संगठनों ने भी मुख्यमंत्री से की थी। मुख्यमंत्री ने मध्यावधि समीक्षा का आश्वासन भी दिया था। बीआईए के अध्यक्ष रामलाल खेतान ने बताया कि उद्यमियों ने ब्याज अनुदान की सीमा 30 से 40% करने की मांग सीएम से की थी।
ब्याज सब्सिडी के बदले पूंजीगत सब्सिडी देने का किया जा सकता है प्रावधान
राज्य में नए निवेशकों को आकर्षित करने के लिए सूक्ष्म और लघु उद्योगों को ब्याज सब्सिडी के बदले पूंजीगत सब्सिडी देने का प्रावधान किया जा सकता है। औद्योगिक नीति-2016 में ब्याज सब्सिडी का प्रावधान है।
जिस उद्याेग में मैनपावर की ज्यादा जरूरत उसे प्राथमिकता
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रवासी मजदूरों से बिहार में रहने की अपील कर चुके हैं और यहीं रोजगार देने का आश्वासन भी दिया है। उन्होंने सभी प्रवासियों को अपने श्रम बल और कौशल का यहीं पर उपयोग कर बिहार के विकास में और यहां की अर्थव्यवस्था के सुधार में भागीदार बनने का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री ने औद्योगिक प्रोत्साहन नीति-2016 में संशोधन करने का निर्देश उद्योग विभाग को दिया है।