अंडे के साथ-साथ चिकन के मूल्य में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। मार्च-अप्रैल में 140 रुपये किलो बिकने वाला चिकन जून में 280 से 300 रुपये किलो तक पहुंच गया। यह हाल तब है जब अधिकांश होटल एवं रेस्टोरेंट बंद हैं। उत्पादन कम और मांग ज्यादा होने की वजह से चिकन का दाम कम होने के बजाए बढ़ता जा रहा है। पोल्ट्री फार्म से जुड़े लोगों का कहना है कि उत्पादन कम होने के लिए कोरोना जिम्मेदार है। पिछले साल हुए नुकसान की वजह से बहुत से कारोबारियों ने अपना फार्म बंद कर दिया है। मांग के अनुरूप उत्पाद नहीं हो रहा है।
पहले बर्ड फ्लू और फिर कोरोना की दहशत के कारण जनवरी से लेकर मार्च तक चिकन का कारोबार ठंडा रहा। बीमारी के डर से लोगों ने चिकन खाना बंद कर दिया था। इस दौरान खड़ा मुर्गा 50 और मीट 100 रुपये बिका। अप्रैल तक यही स्थिति बनी रही। मई से चिकन के दाम बढ़ने शुरू हो गए। चिकन की खपत और दाम बढ़ने के पीछे उत्पादन की कमी के अलावा बकरे के मीट का महंगा होना और मछली को तवज्जो न देना भी है। एक साल में बकरे का मीट पांच सौ रुपये किलो से बढ़कर सात सौ रुपये हो गया है।
चिकन कारोबारी मोहम्मद सेराज ने बताया कि अंडे और चिकन प्रोटीन के सबसे अच्छे स्रोत हैं। इसके साथ ही शरीर को कई अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व भी मिलते हैं। इसलिए लोग अंडा और चिकन ज्यादा खा रहे हैं। प्रोटीन के लिए डाक्टर भी चिकन और अंडा खाने की सलाह दे रहे हैं। प्रतिदिन 60 से 65 टन चिकन की मांग है, लेकिन आपूर्ति उस हिसाब से नहीं हो पा रही है। इसी तरह मांग बनी रही तो चिकन की कीमतों में और उछाल अा सकता है।
स्थानीय स्तर पर अंडे का उत्पादन कम होने और बाहर से अंडे की आपूर्ति प्रभावित न होने के कारण अंडे की कीमत में कम नहीं हो रही है। आफ सीजन हाेने के बावजूद 190 रुपये प्रति ट्रे (30 अंडे) मिल रहा है, जबकि मार्च में अंडा 135 रुपये ट्रे बिका था। अंडा उद्योग से जुड़े कारोबारियों के मुताबिक अभी कीमत कम होने के आसार नहीं हैं। कोरोना की वजह से अंडे की मांग में 20 फीसद तक की बढ़ोतरी हुई है।