कोरोना के कारण लाखो बिहारी मजदूर वापस बिहार आ गए हैं । कहीं फैक्ट्री मालिक ने भगा दिया था तो कहीं किसी के सामने रोटी का संकट आन पडा था । ऐसे में नीतीश कुमार को तो इस बात की चिंता है ही कि इन मजदूरों को कैसे रोजगार मिले । दिल्ली मुंबई के फैक्ट्री मालिकों को भी ये चिंता सता रही है कि उन्हे वर्कर कहां से मिलेगा । इसी के लिये नीतीश कुमार ने बिजनेसमैन के लिये एक अनुठा प्रस्ताव पास किया है । इसके लिए राज्य सरकार ने औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2016 में संशोधन को मंजूरी दी है। इसके तहत बिहार में उद्योग लगाने के लिए ढेर सारे ऑफर दिए गए हैं। जिन इकाइयों में मैनपावर की जरूरत अधिक होगी, उसे प्राथमिकता दी जाएगी।
दूसरे राज्यों से बिहार में औद्योगिक इकाइयां शिफ्ट करने वाले उद्यमियों को न केवल शिफ्टिंग खर्च, बल्कि कच्चा माल लाने और तैयार माल को बाजार में पहुंचाने में जो खर्च होगी, उसका 80 फीसदी तक सरकार देगी। लेकिन इसके लिए उद्यमियों को कम से कम 25 लाख रुपए का निवेश और 25 लोगों को रोजगार देना होगा। कच्चा माल और तैयार माल की आवाजाही के खर्च को देने की अधिकतम सीमा 10 लाख रुपए तय की है। संशोधित नीति को कैबिनेट ने शुक्रवार को मंजूरी दी। यह नीति 31 मार्च 2025 तक लागू रहेगी।
बड़ी राष्ट्रीय व बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ संयुक्त उपक्रम लगेगा : नई नीति में कई तरह के उद्योगों को सामान्य सूची से बाहर कर प्राथमिक सूची में रखा है। राज्य के हर जिले में कम से कम दो औद्योगिक क्लस्टर विकसित किया जाएगा। विकसित करने की जिम्मेदारी राज्य के लोक उपक्रम(पीएसयू) को दी जाएगी। बड़ी राष्ट्रीय व बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम लगाने की भी बात है।
प्रवासियों के लिए प्रावधान: जिला स्तर पर प्रवासी श्रमिकों की स्किल मैपिंग होगी। जिला स्तरीय परामर्श समिति मैपिंग की जानकारी राज्यस्तरीय समिति को देगी। यह समिति कामगारों को रोजगार के बारे में बताएगी। जो स्वरोजगार करना चाहेंगे, उन्हें रुपए दिए जाएंगे। उच्च प्राथमिकता वाले क्षेत्र: ई.रिक्शा, इथनॉल उत्पादन, दाल-गेहूं आधारित उद्योग, मसाला व जड़ी-बूटी प्रसंस्करण को रखा गया है।
प्राथमिकता सूची में ये उद्योग: वेयर हाउसिंग, हार्टिकल्चर उत्पाद, जूस, केचप, स्क्वैश की बाटलिंग, टिसू कल्चर लैब, जेनरेटर, ट्रांसफार्मर, विद्युत वितरण, वायरिंग व इसके उपकरण, फ्लाई ऐश ब्रिक उत्पादन, धान-भूसा आधारित उत्पाद, मोटरगाड़ी, ट्रेलर, मोटरगाड़ी बॉडी निर्माण, पावर वाहन निर्माण, खेलकूद सामग्री, दूरसंचार व रक्षा उपकरण, आभूषण-धातु व फैब्रिकेशन से जुड़े उद्योग शामिल। अधिक से अधिक लोगों को रोजगार और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए लकड़ी आधारित उद्योग को निगेटिव से प्राथमिक सूची में डाल दिया है।
हर जिले में विकसित किए जाएंगे दो क्लस्टर : राज्य के हर जिले में दो क्लस्टर विकसित करने की योजना है। इसके लिए राज्य के पीएसयू को जिम्मेदारी दी गई है। पीएसयू क्लस्टर आधारित मैन्यूफैक्चरिंग के लिए जिलों को गोद लेगी।