सरकारी स्कूलों की हालत सुधरने वाली है । राज्य सरकार चाहती है कि IAS और IPS के बच्चें सरकारी स्कूलों में ही पढ़ें । इससे इन स्कूलों की हारत सुधरेगी । इसके लिये बकायदा शिक्षा विभाग ने खोज शुरू कर दी है । सरकारी स्कूलों में आईएएस, आईपीएस, बिहार प्रशासनिक सेवा श्रेणी-1 और श्रेणी-2 के अधिकारियों के कितने बच्चें पढ़ रहे हैं इसकी जांच हो रही है । शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने इस संबंध में सभी डीएम और एसएसपी को जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारी के साथ समन्वय स्थापित कर विस्तृत विवरण तैयार कर 3 अगस्त तक विभाग में भेजने का निर्देश दिया है। दरअसल, राज्य के मुख्य सचिव 4 अगस्त को सभी 38 जिलों के डीएम और एसपी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक कर इसकी पूरी पड़ताल करेंगे।
सरकारी स्कूलों को सुधारने के लिए जरूरी
राज्य में सरकारी शिक्षा और व्यवस्था की दुर्दशा को पटना हाईकोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया था। इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एके उपाध्याय ने राज्य सरकार को यह बताने के लिए कहा कि कितने आईएएस, आईपीएस और अन्य बड़े अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि सरकारी स्कूलों की दशा तभी सुधरेगी, जब अधिकारियों के बच्चे इन स्कूलों में पढ़ाई करेंगे। कई दूसरे फ्रंट पर भी यह मुद्दा उठता रहा है। शिक्षा विशेषज्ञों का भी यह तर्क है कि अगर बड़े लोगों के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ेंगे तो स्थिति में अपने आप बदलाव आएगी।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद हरकत में आया शिक्षा विभाग
पटना हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के बाद शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने सभी जिलों के डीएम और एसपी को पत्र भेजा है। शिक्षा विभाग के पत्र में कहा गया है कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा कौशल किशोर ठाकुर बनाम बिहार राज्य मामले में 13 जुलाई 2021 को अंतरिम न्यायादेश पारित किया गया है। उसमें राज्य में पदस्थापित भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और श्रेणी एक तथा श्रेणी दो के पदाधिकारियों के कितने बच्चे सरकारी प्राथमिक एवं अन्य विद्यालयों में अध्ययनरत हैं, के संबंध में विस्तृत विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।