शहर में कोरोना संक्रमण के चलते लगे 3 मई तक के लॉकडाउन का सभी की ओर से पालन किया जा रहा है। इस बार रमजान के शुरूआती दस दिन लॉकडाउन में ही बिताना होगा। जानकार का कहना है कि अगर 23 अप्रैल की रात को चांद दिख गया तो रमजान 24 अप्रैल से आरंभ होगा। यदि चांद 23 की जगह 24 को देखा गया तो रमजान 25 से मनाया जाएगा। ऐसे में 10 दिन लॉकडाउन से गुजरना तय है। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के लोग मस्जिद में नहीं जाएंगे। उन्हें अपने घरों में रहकर ही इबादत व रोजा इफ्तार करना होगा।
समाजसेवी अमानुल्लाह खान ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान रमजान में पढ़ी जाने वाली विशेष नवाज जिसे तरावीह कहा जाता है वह भी बंदे को मस्जिद की जगह घर में रहकर ही पढना होगा। उन्होंने बताया कि केन्द्र व राज्य सरकार के निर्देशानुसार रमजान में लॉकडाउन का पालन करें। इस महामारी से बचाने के लिए अल्लाह से खास दुआ करें। उन्होंने कहा कि मस्जिदों में सिर्फ पांच लोग ही नवाज पढेंगे। बाकी लोग घर में रहकर ही तारवीह व अन्य नमाज अदा करें। गर्मियों में दिन लंबा होता है, इस लिए रोजा का समय भी अधिक रहता है। इसबार रमजान माह का सबसे बड़ा रोजा 14 घंटों का होगा।
यह पाक महीना भलाई के रास्ते चलने की देती है सीख : मौलाना अब्दुल मनान व तमील अंसारी ने बताया कि यह महीना हमें गुनाहों से बचने और भलाई के रास्ते पर चलने की सीख देता है। रोजे का तमलब केवल भुखे प्यासे रहना ही नहीं है। बल्कि खुद को हर उस बात से रोकना है। जिससे किसी दुसरे को तकलीफ ना हों। इसलिए यह हमेशा घ्यान रखें की जुबान से कोई ऐसी बात ना निकले जो लोगों को बुरी लगे और वह आपकी बातों से नारज हो जाए। ऐसे जगहों पर भूल कर ना जाए जहां कोई गुनाह होता है।
रमजान मुबारक अल्लाह का महीना है। ये महीना सब्र तथा गमख्वारी का भी है। इस महीने में हर मुसलमान के लिए रोजे फर्ज हैं। चाहे वो गरीब हो या अमीर। रमजान औरों की तकलीफ समझने का जज्बा देता है।
अब अमीर आदमी जो हमेशा अच्छा खाता-पीता है और रमजान में अल्लाह के हुक्म को मानते हुए रोजा रखता है तो उसे भूख व प्यास का एहसास होता है। रोजा रखने से ही पता चलता है कि कोई गरीब इंसान भूखा व प्यासा कैसे रह पाता है। प्यासा होने पर पानी की अहमियत का पता चलता है। हमें अल्लाह ने बहुत सी नेहमतें बख्शी हैं और हम ग्यारह महीने खाते-पीते हैं। इस एक महीने में अल्लाह का हुक्म मानते हुए हम रोजा रखते हैं और पुण्य कमाते हैं। पूरी दुनिया में इस महीने में कुरान शरीफ पढ़ा जाता है। कुरान शरीफ और रमजान का गहरा ताल्लुक है। इसी महीने में ही कुरान शरीफ नाजिल हुआ था। खुशी की बात है कि दुनिया भर में तकरीबन 25लाख मस्जिदें हैं और इस रमजान के मुबारक महीने में हाफिज कुरान शरीफ सुना रहे हैं, अल्लाह के बंदे नेकी कमा रहे हैं। अल्लाह, रसूल का जहां जिक्र होता है, वहां रहमत बरसती है। बड़ी संख्या में लोग रोजा रखते हैं, इफ्तार की दावतें होती हैं। ऐसे में रमजान मुसलमान को अल्लाह से जोड़ता है, आपसी भाईचारा और भी मुहब्बत बढ़ाता है। रमजान के महीने में हर दिन, 24घंटे अल्लाह की रहमत बरसती है। जरूरत है तो अल्लाह के हुक्म को मानने की और रमजान का मुबारक महीना तो नेक बनने की ही हिदायत देता है। आओ रमजान के मुबारक महीने में नेक बनें और गरीबों की मदद करें। हम रोजा रखने से अल्लाह की रहमत पाने के हकदार होंगे, जहन्नुम की आग से भी बचेंगे।