बिहार के माउंटेन मैन दशरथ मांझी का परिवार बुरे दौर से गुजर रहा है। यहां अब उनके परिवार के पास इलाज कराने के रुपए नहीं है। प्रशासन से गुहार लगाई गई लेकिन किसी ने नहीं सुनी। ऐसे में परिवार को हजारों का कर्ज लेना पड़ा, लेकिन इसके बाद भी उन्हें बेहतर इलाज नहीं मिल सका। बता दें, दशरथ मांझी ने अपनी पत्नी के लिए छेनी और हथौडी से अकेले 360 फुट लंबी, 30 फुट चौड़ी और 25 फुट ऊंचे पहाड़ को काटकर रास्ता बनाया था। उनके इस काम से प्रभावित होकर सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया। उनपर फिल्म निर्देशक केतन मेहता ने मांझी द माउंटेन मैन फिल्म बनाई थी। उनके नाम से सरकार ने जिले में एक अस्पताल का निर्माण और नगर का नामकरण किया है।
दशरथ के बेटे भगीरथ मांझी ने बताया कि कुछ दिन पहले सड़क दुर्घटना में उनकी बेटी का पैर और हाथ टूट चुका है। पैसे के अभाव में उसका इलाज सही से नहीं हो रहा। इलाज और दवाओं के अभाव में पीड़ित बच्ची तड़प रही है। उपर से इलाज के लिए लिए गए कर्ज को चुकाने की चिंता सता रही है। भगीरथ ने बताया की सरकारी लाभ के नाम पर सिर्फ पीडीएस दुकान से राशन मिलता है, जिससे वह किसी तरह गुजर बसर करने को मजबूर है।उस वक्त कहा गया था, कि इंदिरा आवास दिया जाएगा, कुछ भी नही मिला। फिल्म निर्माता ने भी रॉयलटी देने का वादा किया थे। भगीरथ बतातें कि उनका बेटा मद्रास में काम करता था, लेकिन लॉकडाउन में फैक्ट्री बंद हो जाने के कारण वह वापस घर लौट गया। अब वह भी बेरोजगार है। साथ ही उनकी वृद्धा पेंशन भी कई महीनों से बंद है।
आज भी फुस के घर में रहने को विवश हैं। कहा की बाबा के नाम पर सरकार ने काफी कुछ किए, कार्यक्रम चलाए, कई उदघाटन तक कर दिए गए। किन्तु उनके परिवार के लिए कुछ नहीं किया गया। दशरथ मांझी के नाम पर तो सरकार ने बहुत कुछ किया लेकिन उसके परिवार वालो के लिए कुछ भी नही किया गया है। सरकार ने कई घोषनाएं की थी, किन्तु वादे ही साबित होकर रह गए। अब इस परिवार ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है।