बिहार के सारण जिले (Saran District) के एकमा प्रखंड स्थित पचुआ गांव (Pachua Village) निवासी अशोक कुमार प्रसाद (IPS Ashok Kumar Prasad) एक आईपीएस अफसर हैं. वे वर्तमान में दार्जिलिंग में आईजी के पद पर कार्यरत हैं. साल 2003 में उनका हार्ट अटैक (Heart Attack) हुआ था. इसके बाद एंजियोप्लास्टी हुई. फिर साल 2012 में अपने गिरते स्वास्थ्य को देखते हुए उन्होंने दौड़ने की शुरुआत की. आज अशोक कुमार प्रसाद ने 20 हजार किलोमीटर की दौड़ पूरा कर एक मिशाल कायम की है, जो पृथ्वी की परिधि की लगभग आधी दूरी है. अशोक कुमार कहते हैं कि 26 अप्रैल 2012 से मैंने दौड़ना शुरू किया था. अब तक 20,000 किलोमीटर की दौड़ पूरा कर चुका हूं, जिसमें पृथ्वी की आधी परिधि का भी हिसाब है. उन्होंने कहा कि इस व्यक्तिगत उपलब्धि को साझा करने के साथ ही मैं किसी और को प्रेरित करने का अवसर भी देता हूं, जो हर दिन दौड़ने या काम करने पर विचार करते हैं. या ऐसा करने के लिए संघर्ष करते हैं. या फिर किसी ऐसे व्यक्ति के लिए भी जो इस क्षेत्र में महान ऊंचाइयों को प्राप्त करना चाहता है.
उन्होंने कहा कि 2003 में हार्ट अटैक आया था, तब लगा कि जिंदगी खत्म होने की तरफ बढ़ रहा है. लेकिन मुझे कुछ अलग करना था. यह बताना था कि रोग शारीरिक नहीं मानसिक होता है. कुछ साल पहले मेरी स्थिति ऐसी थी कि लगता था कि मैं कभी स्वस्थ और फिट नहीं हो पाउंगा, क्योंकि 2003 में मुझे हार्ट अटैक हुआ था. इसके बाद एंजियोप्लास्टी हुई. इसके अनेक कारण थे. अशोक कुमार प्रसाद ने बताया कि आईपीएस बनने के पहले मैंने कभी कोई खेल नहीं खेला था. फिटनेस और एरोबिक्स से अपरिचित था. प्रशिक्षण के दौरान भी किसी तरह फिटनेस टेस्ट पास करता था. हैदराबाद में एसवीपीएनपीए की ट्रेनिंग के बाद शारीरिक श्रम करना छोड़ दिया था. जीवन शैली और खाने की आदतें भी बदल गई थीं. 62 किलोग्राम से बढ़कर मेरा वजन 74 किलोग्राम हो गया. इस अपेक्षा ने मुझे दिल का मरीज बना दिया.
उन्होंने कहा कि अनेक रिसर्च और विश्लेषणों के बाद फिटनेस मेरा मूल मंत्र बन गया. अब मैंने खुद को फिट रखने का प्रण किया है. अनेक रिसर्च और विश्लेषणों के बाद फिटनेस मेरा मूल मंत्र बन गया. उनकी माने तो उन्होंने आर्युवेद, योग, प्राणायाम और ध्यान का अध्ययन किया. अशोक ने बताया कि हार्ट अटैक के बाद मेरी दृष्टि कमजोर हो गई. फिर दांतों का सड़न होने लगा. इसके साथ ही अन्य परेशानियां भी आईं. मैने स्वयं को ईश्वर की दया पर छोड़ दिया, लेकिन 2012 में मुझे यह अनुभव हुआ कि मेरा जीवन और मेरा स्वास्थ्य मेरी ही जिम्मेदारी है.इसके बाद बेहतर जीवन का प्रण मैंने किया. दौड़ने की शुरुआत करने से पहले मैंने सोचा भी नहीं था कि ऐसा कर पाना संभव होगा. अब यह अनुभव हुआ है कि किसी के लिए भी कुछ भी असंभव नहीं है. ढ़ृढ़ इच्छाशक्ति और भाव के साथ उससे निरंतरता आती है. इच्छाशक्ति आपके शरीर को और स्ट्रेस नहीं होने देती और आप लंबा वर्कआउट करने में सक्षम होते हैं.
अशोक कहते हैं कि दौड़ना मुझे हमेशा प्यारा लगता है. इससे मेरे शरीर को एनर्जी मिलती है. जीवन की इस यात्रा में मैंने यही सीखा है. अब समय है कि मैं अपने सामाजिक दायरे के लोगों ,दोस्तों और कर्मियों को इसके लिए प्रेरित करूं. अशोक की माने तो 100 में से 99 व्यक्ति कहते हैं कि दौड़ने के बाद अच्छा महसूस हुआ है. पारंपरिक ज्ञान कहता है कि दौड़ने से घुटने प्रमाणित होते हैं और अर्थराअटिस हो जाता है. लेकिन हालिया अध्ययन बताते हैं कि दौड़ने से ओल्ड एज में भी घुटने ज्यादा स्वस्थ रहते हैं. न्यूयार्क टाइम ने ऐसा कहा है कि दौड़ने वालों के घुटनों में मोशन ग्रुव बनता है जो कार्टिलेज को सपोर्ट करता है. अशोक सबको स्वास्थ्य ही धन है का संदेश देना चाहते हैं. वे कहते हैं कि न्यूज़18 के जरिये मैं सबसे आग्रह करूंगा कि आप टहलें, जॉगिंग करें और दौड़ें.