देश के दूसरे हिस्सों के छात्र अक्सर आपस में चर्चा करते रहते हैं कि यार ये बिहार के छात्र आखिर क्या पढ़ाई पढ़ते हैं कि हरेक कंपटीशन में इनका ही दबदबा बना रहता है। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने लैंप पोस्ट की रोशनी में पढ़ाई की थी.कुछ ऐसी ही कहानी है सासाराम के छात्रों की। सासाराम में छात्रो का एक ऐसा समूह है जो प्रतिदिन रेलवे स्टेशन की लाईट में पढाई कर अपनी जिंदगी संवार रहा हैं। यही नही प्रतियोगिता परीक्षा में इनके सफलता का आंकड़ा भी सबको चौकाने वाला हैं। देश की शायद ही कोई प्रतियोगिता परीक्षा हो जिसमें सासाराम रेलवे स्टेशन पर पढे बच्चो ने सफलता के झंडे नही गाड़ा हो। सासाराम रेलवे स्टेशन पर पढाई में मशगुल ये छात्र विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओ के अभ्यर्थी हैं। इसमें कुछ ऐसे छात्र भी हैं जिन्होंने कई प्रतियोगी परीक्षाओं में कामयाबी भी हासिल कर ली है। इसी रेलवे स्टेशन पर पढ़ाई कर न जाने कितने छात्रों ने रेलवे, एसएससी, और संघ लोक सेवा की परीक्षा में कामयाबी का इतिहास रचा है।
बताया जाता है की पहले सासाराम में बिजली की काफी समस्या थी ऐसे में छात्र रेलवे स्टेशन पर आ कर स्ट्रीट लाइट के नीचे पढते थे। अब जब बिहार में बिजली की समस्या नहीं के बराबर है तब भी छात्रों के लिए स्टेशन पर आ कर पढ़ाई करना एक परंपरा जैसी बन गई है। ग्रुप डिस्कशन से छात्रो में प्रतियोगिता की भावना का विकास होने लगा। और देखते ही देखते ये रेलवे स्टेशन प्रतियोगी छात्रो के लिये शिक्षा का हब बन गया। छात्र मोहन कुमार और दिवाकर बताते हैं की रेलवे प्रशासन कभी कभार उनलोगो को यहाँ से भगा भी देते हैं। लेकिन फिर मिन्नत करने पर उदारता दिखाते हैं।
इन छात्रों में अधिकांश वो लोग हैं जो जिले के अलग-अलग गांवों से सासाराम नगर में किराए का कमरा लेकर अपनी पढाई करते है, लेकिन गरीबी के कारण ज्यादातर छात्र कोचिंग नही कर पाते हैं। ऐसे में अगर कोई एक छात्र, मित्र किसी कोचिंग संस्थान का नोट्स लाता हैं तो पूरा ग्रुप पढ लेता है। इस तरीके से सभी छात्र मिल कर प्रतियोगी परीक्षा का तैयारी करते हैं। अगर कोई छात्र किसी कठिन सवाल का हल नहीं खोज पाता है तो साथ के छात्र उसकी भरपूर मदद करते हैं। इतना ही नहीं सीनियर छात्र जुनियर छात्रो की कक्षा भी लगाते हैं जिस कारण यहां पूरा शैक्षणिक माहौल सा बन गया है। रेलवे स्टेशन पर ट्रेन के आने जाने का सिलसिला जारी रहता है इस सबके बीच ट्रेन की तेज आवाज में हॉर्न भी बजता रहता है लेकिन छात्रों का ध्यान भटकता नहीं है।