नियोजित शिक्षकों के हड़ताल के बाद बिहार सरकार ने बर्खास्तगी का जो नासूर दिया है उस पर सुप्रीम कोर्ट ने आज मलहम लगा दिया । सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि नियोजित शिक्षकों भी मुख्य शिक्षकों की तरह सुविधाएं मिलनी चाहिये ।
बिहार के सरकारी स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों के लिए अच्छी खबर है। यह खुशखबरी बिहार सरकार ने नहीं बल्कि पटना हाईकोर्ट ने दिया है। पटना हाईकोर्ट ने मंगलवार को नियोजित शिक्षकों को लेकर फैसला सुनाया। कोर्ट ने मुख्य सचिव को 4 महीने के अंदर सरकारी कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधाओं की तरह नियोजित शिक्षकों को सुविधा मुहैया कराने का निर्देश दिया है। यदि हाईकोर्ट के इस फैसले को मान लिया जाता है तो बिहार के करीब 4 लाख शिक्षकों को फायदा होगा।
न्यायाधीश डॉ अनिल कुमार की एकल पीठ ने नियोजित शिक्षक संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने पहले ही ठेके पर नियुक्त शिक्षकों को राज्य कर्मियों की तरह माने जाने के लिए कहा था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मुकेश कुमार ने कहा है कि नियोजित शिक्षकों को सरकारी कर्मचारियों की तरह माना जाता है। लेकिन सारी सुविधाएं राज्य कर्मचारियों की तरह नहीं दी जाती है। शिक्षकों को यदि सरकारी कर्मचारी मान लिया जाता है तो रूल रेगुलेशन और सरकारी कर्मचारियों की भर्ती हो जाएगा। इसमें कोई संदेह नहीं है नियोजित शिक्षक राज्य के कर्मचारियों की तरह ही काम करते हैं इसके बावजूद सरकार इनसे दर्जे का व्यवहार करती है।
आपको बता दें कि 2014 में बड़ी संख्या में नियम नियोजित शिक्षकों की बहाली हुई थी। 2006 में उन्हें शिक्षामित्र कहा जाता था, बाद में 2010 में शिक्षक पात्रता परीक्षा लागू कर दी गई इसके बाद भी वह नियोजित शिक्षक कहे जाते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि मुख्य सचिव को 4 महीने में उनके आवेदन पर गंभीरता से सोचना चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं है कि नियोजित शिक्षकों की याचिका पर उनके पक्ष में फैसला आया है।
इससे पहले 2015 में एक बड़े आंदोलन के बाद नियोजित शिक्षकों के लिए नया वेतनमान लागू हो गया था। लेकिन उनकी सेवा शर्त की मांग तब से लंबित पड़ी हुई। नियोजित शिक्षकों के द्वारा समय-समय पर अपनी मांग करते रहते हैं। सूत्रों की मानें तो नियोजित शिक्षकों की सेवा शर्त पर सुगबुगाहट चल रही है। मार्च से अप्रैल तक इसमें आकार लेने की संभावना है।
इस पर मुहर के लिए विभाग से लेकर सरकार तक तमाम प्रक्रिया पूरी करनी होगी। मामला यदि वित्त विभाग से जुड़ा होगा तो उनकी भी मंजूरी लेनी होगी। सेवा शर्त लागू होते ही नियोजित शिक्षकों को प्रमोशन का लाभ मिलेगा और वह हेड मास्टर तक बन पाएंगे। देश के भविष्य को निकालने वाले शिक्षकों को सभी जरूरी सुविधाएं मिलना चाहिए। पटना हाई कोर्ट का यह फैसला शिक्षकों को राहत देने वाला है।