बिहार में अभी भी अंग्रेजों के जमाने के रेल पटरी बिछी हुई है । एक तरफ सरकार जहाँ बुलेट ट्रेन चलाने की बात कर रही है वहीं दूसरी और पुरानी पटरियों पर कोई ध्यान नहीं दे रही । इससे आऐ दिन दु’र्घटना होती रहती है । ताजा मामला बिहार का है । कैमुर के दो किसानों की सुझबुझ से एक बड़ा रेल हा’दसा टल गया ।
पुसौली स्टेशन के पास अप मेन लाइन में पटरी टूटी हुई थी जहां से कुछ देर बाद कोलकाता-बीकानेर एक्सप्रेस गुजरने वाली थी। लेकिन तभी दोनों की नजर टूटी हुई पटरी पर गयी। तभी ट्रेन को आता देख दोनों ने लाल गमछा दिखाकर ट्रेन को रुकवाया। गमछा लहराते दो लोगों पर ट्रेन के ड्राइवर की नजर गयी। ड्राइवर को किसी अ’नहोनी का एहसास हो गया और उसने ट्रेन को रोक दिया। जिससे बड़ी घटना होते-होते बच गयी। स्टेशन मास्टर ने दोनों किसानों की तत्परता देख उन्हें माला पहनाया और मिठाई खिलाकर सम्मानित किया।
दरअसल पंडित दीनदयाल-गया रेलखंड के बीच पुसौली रेलवे स्टेशन से एक किलोमीटर पश्चिम कुदरा थाना क्षेत्र के घटांव गांव के दो किसान अपने खेतों की तरफ अपलाइन का रेलवे ट्रैक पकड़कर जा रहे थे। तभी उनकी नजर रेलवे ट्रैक की टूटी पटरी पर पड़ी। जब तक वह पुसौली स्टेशन मास्टर को इसकी सूचना देते तब तक अपलाइन का सिग्नल ग्रीन हो चुका था और चंद मिनटों में ही अपलाइन से 2496 नंबर की हावड़ा बीकानेर एक्सप्रेस आता हुआ दिखाई दिया।
जिसके बाद किसान प्रेमचंद राम और राम प्रवेश ने अपने पास रखे लाल गमछा को निकालकर ट्रेन के ड्राइवर की ओर इशारा करने लगे। ताकि ट्रेन को रोका जा सके। ट्रेन के ड्राइवर की नजर जब गमछा लहरा रहे दो लोगों पर गयी तब चालक ने भी मामले की गं’भीरता को समझते हुए गाड़ी को इम’रजेंसी ब्रेक लगाया जिसके बाद ट्रेन को रोका जा सका।
दोनों किसानों ने पटरी टूटे होने की जानकारी ट्रेन के ड्राइवर को दी। जिसके बाद ट्रेन के ड्राइवर ने पूरी बात की जानकारी स्टेशन मास्टर को दी। सूचना मिलते ही आनन-फानन में मौके पर पीडब्ल्यूआई की टीम पहुंच गयी। जिसके बाद रेलवे पटरी के मरम्मत का काम शुरू किया गया। करीब एक घंटे बाद हावड़ा-बीकानेर एक्सप्रेस को पंडित दीनदयाल जंक्शन के लिए रवाना किया गया। वही दोनों किसानों की तत्परता को देखकर स्टेशन मास्टर काफी खुश हुए और दोनों को माला पहनाकर और मिठाई खिलाकर सम्मानित किया गया। स्टेशन मास्टर का कहना था कि दोनों किसानों की तत्परता से आज बड़ा हा’दसा होने से टल गया। इनके इस पहल से कई लोगों की जानें बच गयी। इन दोनों की जितनी भी तारीफ की जाए कम हैं। इस बात की जानकारी जब गांव के लोगों को हुई तब ग्रामीणों ने भी इन दोनों किसानों की जमकर तारीफ की।