पुरस्कार के एलान के साथ ही साहित्य अकादमी में मैथिली के प्रतिनिधि डॉ प्रेम मोहन मिश्र ने इस्तीफा दे दिया है। पक रस्कार दिये जाने की पर सवाल उठाते हुए संस्था के सचिव पर गंभीर आरोप भी लगाया है । अकादमी के सचिव के श्रीनिवासन राव को मेल के माध्यम से भेजे गये अपने इस्तीफे में उन्होंने कहा है कि उन्हें परामर्श मंडल के संयोजक पद से मुक्ति दी जाये। इस्तीफे के बारे में जानेपर डॉ मिश्र ने कहा हे पुरूस्कार के चयन में पूरा रैकेट सक्रिय । पुस्तक का चयनव उसका निर्णय गुप्त प्रक्रिया के तहत होना चाहिए। जुरी के नाम भी गुप्त रखे जाते हैं, इस बार जूरी के नाम पहले ही सार्वजनिक हो गये। यहां तक कि अवार्ड किसे मिलेगा, यह भी पहले ही सामने आ गया था।
इसे लेकर उन्होंने मैथिली के पुरस्कार को स्थगित करने के लिए 10 दिसंबर को सचिव को लिखा था। इसे स्थगित न कर खबर को पुरस्कार की घोषणा कर दी गयी। डॉ मिश्र ने। कहा कि पिछले साल भी गड़बड़ी हुई थी। पुरस्कार के लिए चयनित पुस्तक के प्रकाशक, जूरी मंडल में शामिल थे। उन्होंने सचिव से उन्हें हटाने के लिए कहा था, लेकिन उस समय भी इसे तवज्जो नहीं दिया गया। कहा कि दरअसल पुरस्कार की मानक व्यवस्था को संस्था के कार्यालय ने पूरी तरह छिन्न-भिन्न कर रखा है। डॉ ८ ने कहा कि जब बतौर प्रतिनिधि वे कुछ कर ही नहीं सकते, तो रहकर क्या करें ?
स्कूल से ही साहित्य से जोड़े जाएं बच्चे: अरविंद
सुपौल के साहित्यकार सह कवि कुमार मनीष अरविंद को 2019 के साहित्य अकादेमी सम्मान के लिए चुना गया है। उन्हें यह पुरस्कार 2017 में लिखे उनकी मैथिली कविता संग्रह ‘जिनगीक ओरिआओन करैत’ के लिए दिया जा रहा है।
मनीष अरविंद ने बताया कि आज युवा वर्ग साहित्य से विमुख हो रहे हैं। साहित्य पढ़ने में इस वर्ग की रुचि कम हो रही है। इसके लिए जरूरी है कि छोटे बच्चों को स्कूलों से ही साहित्य से जोड़ना होगा। श्री अरविंद बताते हैं कि उनके पिता जितेन्द्र मिश्र जीवन (आर्यावर्त के पूर्व संपादक) उनके प्रेरणास्त्रोत हैं। उन्होंने बताया कि वह सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच कविता लिखने के लिए समय निकालते हैं। मूल रूप से सुपौल के वीरपुर अनुमंडल के बसावनपट्टी निवासी अरविंद भारतीय वन सेवा के पदाधिकारी हैं। वर्तमान में वे पलामू में वनरक्षक पद पर कार्यरत हैं। 15 अक्टूबर 1964 को जन्मे अरविंद की प्रारंभिक शिक्षा सुपौल में ही हुई। पटना के साइंस कॉलेज से स्नातक करने के बाद उन्होंने एफआरआई डीम्ड यूनिवर्सिटी देहरादून से वानिकी में स्नातकोत्तर व ऑनर्स डिप्लोमा इन फारेस्ट्री का कोर्स किया।