सोनाली कुमारी
लोहरदगा जिले के कैरो थाना के खरता गांव में बिजली का करंट लगने से 26 वर्षीय जितेंद्र की हालत गंभीर हो गई। उसे इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया। यहां डॉक्टरों ने उसे जिंदा रहते ही मृत घोषित कर पोस्टमार्टम के लिए राँची के रिम्स भेज दिया ।
रिम्स पहुंचने में लगभग पाँच घंटे लगे । इधर, रिम्स में पोस्टमार्टम शुरू होने से पहले डाँक्टरो ने युवक को जिंदा पाया । उसके दिल की धड़कन चल रही थी। उसे तुरंत पोस्टमार्टम विभाग के डाँक्टरो ने ट्रॉली के सहारे सेंट्रल इमरजेंसी भिजवाया, जहां इलाज के दौरान कुछ देर बाद ही उसकी मौत हो गई ।
पूरे मामले में चान्हो सीएचसी व वहां के डॉक्टरों की लापरवाही की बात सामने आ रही है। जितेंद्र के छोटे भाई सिकंदर उरांव ने बताया कि मंगलवार सुबह करीब 6:00 बजे जितेंद्र गांव में ही लगे एक टेंट को हटाने गया था। वहां उसे बिजली का करंट लगा और वह बेहोश हो गया। बेहोशी की हालत में उसे तुरंत चान्हो सीएचसी ले जाया गया ,जहां प्रारंभिक जांच के दौरान ही डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद अन्य कागजी प्रक्रिया पूरी करते हुए पोस्टमार्टम के लिए उसे रिम्स भेजा गया। जितेन्द्र की धड़कन देख तुरंत डॉक्टर और टेक्नीशियन अलर्ट हो गए। युवक को तत्काल इमरजेंसी में शिफ्ट कर दिया गया। रिम्स के डॉक्टरों ने कहा कि युवक को अगर समय रहते रिम्स लाया जाता तो उसकी जान बच सकती थी।
उन्होंने कहा कि कई बार बिजली के झटके या शॉक लगने से धड़कन बंद हो जाती है। कुछ देर बाद वह फिर से चलने लगती है। अगर सीएचसी में ही उसे सीपीआर दिया जाता तो धड़कन लौट सकती थी । परिजनों ने कहा कि मौत की पुष्टि करने के बाद चान्हो में ही कागजी प्रक्रिया में करीब 4 से 5 घंटे बर्बाद कर दिए। जबकि जितेंद्र मौत की पुष्टि होने के बाद भी 5 घंटे तक जीवित था । इधर चान्हो पुलिस ने उसे मृत घोषित करने के बाद डॉक्टरों की रिपोर्ट के आधार पर लगभग 11:45 पर शव परीक्षण के लिए रिम्स भेजा। इन सभी लम्बे प्रकियाओ की वज़ह से युवक की मौत हो गई ।