दरभंगा महाराज की बेकार पड़ीं धरोहरें संरक्षित हों। उसे नया रूप देकर बचाया जा सके, कुछ इसी तरह का अनूठा प्रयास कर रहे ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दैनिक कर्मी। वे विवि परिसर में दरभंगा महाराज की बेकार पड़ीं धरोहरों से नरगौना परिसर में पार्क बना रहे। पहले चरण में अयाची प्रेरणा सेतु बन गया है। एडवेंचर और विंटेज पार्क का निर्माण होना है।
बहुत सामान का नहीं किया गया उपयोग
दरभंगा महाराज परिसर में मिथिला विश्वविद्यालय चल रहा है। महाराज के समय के बहुत से सामान आज भी परिसर में बिखरे पड़े हैं। ध्वस्त हो रहे हैं। इसे बचाने और नया रूप देने के लिए दरभंगा महाराज के अतिथि गृह नरगौना परिसर स्थित तालाब के किनारे पार्क निर्माण की योजना बनी। इसमें विवि में काम करने वाले दैनिक कर्मी आगे आए। दो माह में पार्क में अयाची प्रेरणा सेतु का निर्माण हो गया है। इसे बनाने में बेकार पड़े लोहे व लकडियां सहित अन्य धरोहरों का प्रयोग किया गया है। कर्मियों ने अब तक इस काम में 10 हजार रुपये खर्च किए हैं।
एडवेंचर पार्क पर हो रहा काम
दूसरे चरण में एडवेंचर पार्क बन रहा है। इसमें बेकार पड़ा हीटर, गीजर, एंबेस्टर कार, टेलीविजन की पुरानी छतरी सहित अन्य सामान का इस्तेमाल किया गया है। एडवेंचर पार्क में युवाओं के लिए रस्सी ब्रिज भी बनाया गया है। इस पर सफर करना काफी रोमांचक होगा। तीसरे चरण में इसी जगह चंडीगढ़ के मशहूर रॉक गार्डन की तर्ज पर विंटेज पार्क का निर्माण होगा।
धरोहरों को संरक्षित करने की कोशिश
निर्माण में लगे शंभू कुमार राम, शंभू यादव, अनिल कुमार, लक्ष्मण यादव, किशन महतो, मंजीत पासवान और राहुल कुमार यादव का कहना है कि धरोहरें संरक्षित हो सकें, इसका प्रयास कर रहे। छात्रों का भी सहयोग मिलता है। निर्माण कार्य प्रभारी मनोज कुमार राम ने बताया कि टीम पूरी लगन से लगी है। कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय का कहना है कि इससे लोगों को धरोहर बचाने की प्रेरणा मिलेगी। वे बेकार सामान का इस्तेमाल किस तरह से करें, जान सकेंगे।