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बिहार में चुनावी साल चल रहा है । और इस चुनाव में वादों की जो झड़ी लगी है उससे बिहार भी अधुरा नहीं है । इसी वादों की झड़ी में दरभंगा के हिस्से एयरपोर्ट आ गया । आनन-फानन में घोषणाये हुई और स्पाइसजेट ने टिकट भी अनाउंस कर दिया । बुकिंग शुरू हो गई और बकायदा प्रमोशन भी होने लगा । लेकिन इन सबके बीच दरभंगा एयरपोर्ट की हालत कुछ और ही कहती है । अगर आप एयरपोर्ट पहुँच गए तो वहां की हालत देखकर हैरान रह जाएंगे । एक तो एयरपोर्ट ऑथिरिटी ने यहाँ पर सभी पुरानी चीजें लगाई है उपर से दिक्कतों की भरमार है । अभी दो तिहाई काम भी पूरा नहीं हुआ है ।
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दरभंगा एयरपोर्ट की ग्रहदशा ठीक नहीं चल रही है। पहले हवा में विमान को दिशा दिखाने वाले डीवीओआर नामक सिस्टम लगाने का टेंडर रद्द हो गया। अब पुलिसिया केस की तर्ज पर इसके आधे-अधूरे काम एयरपोर्ट प्रबंधन और जिला प्रशासन के बीच थाना विवाद में लटक गए हैं। यानी कौन करे? विधानसभा चुनाव कराने में बुरी तरह उलझा जिला प्रशासन एयरपोर्ट के अधूरे कामों को देख अतिरिक्त दबाव में चौतरफा घिर गया है। जबकि काम भी ऐसे हैं, जो रक्षा मंत्रालय तक से मतलब रखते हैं। सूत्रों की मानें, तो वक्त पर विमान सेवा नहीं शुरू हो पाने के लिए राज्य सरकार को दोषी बताने की तैयारी शुरू हो गई है।
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जैसे, 8 नवंबर से विमान सेवा शुरू करने की राह में नई समस्या हो गई हैं नीलगायें। बता दें कि 11 किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस एयरपोर्ट की सुरक्षा की दीवार अभी तक नहीं बनी है। बल्कि वर्षों पहले दिखाने को जहां से शुरू हुई थी, अभी तक वहीं अटकी पड़ी है। वायु सेना का भी अड्डा होने के कारण यह दीवार रक्षा मंत्रालय को ही बनानी है। उधर से बात आगे नहीं बढ़ रही है। यह देख दरभंगा एयरपोर्ट के अधिकारियों ने जिलाधिकारी से बनवाने की मांग कर दी। जिला प्रशासन को समझ में नहीं आ रहा कि केंद्रीय परियोजनाओं के लिए वह कैसे पैसा खर्च कर सकता है। वह भी बिना टेंडर के। सूत्रों के मुताबिक, दरअसल 8 नवंबर से विमान सेवा शुरू होने की घोषणा महज चुनावी हवा-हवाई थी। व्यावहारिक रूप से अगले साल फरवरी से पहले इसके अधूरे पड़े काम पूरे हो ही नहीं सकते।
नीलगायों की समस्या और मजेदार है। एयरपोर्ट के क्षेत्र में सौ से अधिक नीलगायें रहती हैं। कोई दीवार नहीं होने से ये बेरोकटोक आती-जाती रहती हैं। विमान सेवा शुरू करने से पहले इन नीलगायों को हटाना जरूरी है। वरना रनवे पर इनके अचानक आ जाने से हमेशा बड़े हादसे का डर रहेगा। एयरपोर्ट प्रबंधन ने इन्हें हटवाने की कोशश की। वन विभाग से संपर्क किया। उसने सौ से ऊपर नीलगायों को एक बार हटाने के लिए 35 लाख रुपये का बजट थमा दिया। एयरपोर्ट अधिकारी चाहते हैं कि वन विभाग को 35 लाख जिला प्रशासन दे। जिला प्रशासन कहता है कि जब तक चारों तरफ दीवारें खड़ी नहीं होंगी, तब तक तो ये गायें बार-बार आती-जाती रहेंगी। फिर हर बार इन्हें निकालने के लिए 35 लाख रुपये का खर्च कौन कर सकता है। ऐसे में एयरपोर्ट अथॉरिटी को यह काम खुद कराना चाहिए। इसके लिए वह तैयार नहीं है। लिहाजा, जब तक नीलगायों का आशीर्वाद एयरपोर्ट को नहीं मिलेगा, तब तक यहां से विमान सेवा का शुरू हो पाना कठिन ही है।
Input – Anshuman