बिहार में अभी तक कोरोना वायरस का कोई पेशेंट तो नहीं मिला, मगर च’मकी बु’खार का इस साल का पहला मरीज मिल गया है। अब बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग को खुद से पूछना चाहिये कि उसकी तैयारी क्या है।
1 दावा किया गया था कि च’मकी बु’खार का सीजन शुरू होने से पहले SKMCH में 100 बेड का स्पेशल AES वार्ड शुरू हो जाएगा। अब कहा जा रहा है कि यह वार्ड मई तक शुरू हो पायेगा।
2. चमकी के सबसे अधिक प्रभावित मुजफ्फरपुर के 5 प्रखंडों में सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों नर्सों के तीन चौथाई पद अभी भी खाली हैं। 88 डॉक्टरों के पद सृजित हैं, सिर्फ 27 डॉक्टर कार्यरत हैं। ए ग्रेड नर्स के सभी 114 पद खाली हैं। ये अस्पताल महज 41 फीसदी मैनपॉवर के साथ काम कर रहे हैं। इस बीच घोषणा हुई थी कि मार्च महीने में बिहार के डॉक्टरों और नर्सों के सभी खाली पदों को भर लिया जाएगा। मगर अभी प्रक्रिया शुरू भी नहीं हो पाई कि कोरोना के कारण तमाम काम बंद हो गए।
3. फरवरी में मुजफ्फरपुर में जापानी बुखार का टीकाकरण हुआ, दावा किया गया कि हर बच्चे का टीकाकरण हो गया है। मगर फिर जांच हुई तो पता चला कि यह दावा झूठा था। कुछ प्रखंडों में 50 फीसदी तक बच्चे इस टीका से वंचित हैं। हालांकि सच यह भी है कि इस टीके का च’मकी बु’खार पर असर नहीं पड़ता। हमारे सर्वेक्षण में हमें 42 फीसदी ऐसे बच्चे मिले जिन्हें जापानी बुखार का टीका पड़ा था, मगर उन्हें च’मकी बु’खार हो गया था।
4. जागरूकता अभियान चलाने के लिये एक रथ निकला था, मगर उससे कितनी जागरूकता फैल रही है यह समझ से परे है।
5. बीमार बच्चों को अस्पताल लाने के लिये एम्बुलेंस या वाहन की क्या व्यवस्था है कुछ पता नहीं।
6. तय हुआ था कि रात को बच्चों को भूखा नहीं सोने दिया जाएगा। हमने भी बच्चों को रात की आंगनबाड़ी में बुलाने का सुझाव दिया था। मगर अब तो कोरोना की वजह से आंगनबाड़ी ही बन्द है।
7. अस्पतालों में ग्लूकोमीटर, ग्लूकोज चढ़ाने की व्यवस्था, रात के वक़्त डॉक्टरों की तैनाती हुई या नहीं यह पता नहीं।
8. कई बड़ी संस्थाएं सरकार की मदद कर रही हैं, मगर असर जमीन पर नहीं दिख रहा।
9. चमकी का मौसम शुरू हो गया है, अभी अप्रैल महीने में इक्का दुक्का मामले आएंगे। मई-जून से ऐसे मामलों की बाढ़ आ जायेगी। जरा आप भी सरकार से पूछिए कि तैयारी है या नहीं।