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बिहार में जातीगत राजनीति शुरू से ही प्रभावी रही है । और पिछले कुछ दिनों से जातीगत जनगणना का मुद्दा काफी चर्चे में रहा है । इसी कड़ी में सीएम नीतीश ने भी मोदी सरकार से जातीय जनगणना करवाने की मांग की है । उन्होनें कहा कि जातीय जनगणना होने से जो पिछड़े तबके और गरीब गुरबा लोग हैं उन्हें भी कई सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा ।
सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि जातीय जनगणना की मांग को लेकर बिहार विधानसभा से दो दफे प्रस्ताव पारित किया गया था। पहली बार साल 2019 में और दूसरी बार 27 फरवरी 2020 को विधानसभा में जब जातीय जनगणना की मांग को लेकर प्रस्ताव पेश किया गया। तो सभी दलों ने इसका समर्थन किया था। उन्होंने पार्लियामेंट में भी कई बार इस प्रस्ताव को भेजा लेकिन अबतक इस तरफ कोई पहल नहीं की गई है। नीतीश ने कहा कि केंद्र सरकार को एक बार इसपर विचार जरूर करना चाहिए।
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सीएम नीतीश ने बताया कि 2010 के बाद जातीय आधार पर जनगणना की गई थी। 2013 में उसे पब्लिश भी किया गया था लेकिन उसका कोई निष्कर्ष नहीं निकला था। नीतीश ने कहा कि एक बार जातीय जनगणना जरूर होनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि किस इलाके में किस जाति के लोग रहते हैं और SC/ST के अलावा जो गरीब गुरबा लोग हैं उन्हें भी सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।