केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान की मौत के बाद हाजीपुर के अकबरपुर मलाही गांव में पिछले तीन दिनों से किसी के घर में चूल्हा नहीं जला है। टीवी पर मौत की खबर सुनने के बाद महिलाओं ने ना तो खाना बनाया है ना ही खाया है। उनका कहना है कि जब उनके प्रिय नेता का अंतिम संस्कार हो जाएगा, तभी उनके घर में चूल्हा जलेगा। ये महिलाएं लोजपा या किसी अन्य पार्टी से जुड़ी हुई नहीं हैं। इन्हें किसी केन्द्रीय मंत्री के जाने का गम नहीं है बल्कि अपने मसीहा के नहीं रहने का दुख साल रहा है। उनका कहना है कि हर नेता की मैय्यत पर आंसू निकले, ये जरूरी नहीं। रामविलास हमारे नेता नहीं बल्कि मसीहा थे। हाजीपुर से करीब 30 किमी दूरी सराय को उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद गोद लिया था। गांव के ही रहने वाले 52 साल के एक अधेड़ गुरुवार की रात अपने घर में टीवी पर न्यूज देख रहे थे। रामविलास पासवान की मौत की सूचना मिलते ही उन्हें ऐसा सदमा पहुंचा कि ब्लड प्रेशर लो हो गया, उनका इलाज करवाना पड़ा।
गांव की प्रमिला देवी ने बताया मौत की जानकारी बेटे से मिली। वो मोबाइल पर फेसबुक चला रहा था। उसी बीच उसको पता चला था कि मंत्री जी का देहांत हो गया। इसके बाद से ही खाना-पीना नहीं हुआ। बना हुआ खाना नहीं खाए। चूल्हा नहीं जला। गांव की ही संगीता देवी ने बताया कि दुखद जानकारी अपने बेटे से फेसबुक से मिली। मन अजीब हो गया। हमलोग घर में अब तक खाना नहीं बनाए हैं। बच्चा सब को कुछो खिला दिए। लेकिन हमरा मन एकदम नहीं है। आशा गुप्ता ने बताया उनकी मौत की खबर हमको अपने पति से मिली। उस रात हम खाना बना चुके थे। लेकिन हमारे साहब ने कहा कि मन दुखी है, खाना नहीं खाएंगे। घर क्या, पूरे गांव का माहौल अजीब सा हो गया है। ऐसा लग रहा है कि हमारे परिवार का कोई सदस्य चला गया हो।