मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर केंद्रीय मंत्री रहे स्व0 रामविलास पासवान के भाई व सांसद पशुपति कुमार पारस के दो परस्पर विरोधी बयान शुक्रवार को चर्चा में रहे. दोपहर एक न्यूज चैनल पर उन्होंने नीतीश कुमार को बड़ा भाई मानते हुए कहा कि उनके शासनकाल में काफी विकास हुआ है. उनके काम करने का तौर-तरीका मुझे अच्छा लगता था. वह हमेशा विकास की बातें करते थे.
साथ ही पारस ने यह भी कहा कि वह राजनीतिक मुद्दे पर 20 अक्तूबर के बाद अपनी बात रखेंगे. उन्होंने कहा कि मेरे मन में मुख्यमंत्री के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है. उनसे अच्छा संबंध पहले भी था और आज भी है. वह रामविलास पासवापन को भारतरत्न दिये जाने संबंधी प्रस्ताव को केंद्र को भेजे जाने के संबंध में पत्र भी लिखेंगे और नीतीश कुमार से व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात भी करेंगे.
लेकिन, लोजपा में दूसरे बड़े नेता पारस का यह बयान शाम होते-होते बदल गया. पार्टी कार्यालय में देर शाम प्रेस काॅन्फ्रेंस कर वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान की राह चल पड़े. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और अपने भतीजे सांसद प्रिंस राज के साथ प्रेस काॅन्फ्रेंस कर पारस ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासनकाल में विकास नहीं हुआ. बाढ़ से लेकर कोरोना तक से निबटने में राज्य सरकार फेल रही है.
जिला अस्पतालों में दवा, डाॅक्टर और अन्य चीजों की भारी कमी है. कई जगहों पर अस्पताल के बेड पर कुत्ता बैठने की तस्वीरें भी आयी हैं. शिक्षा को लेकर भी सरकार फेल रही है. जिनको हिंदी और अंग्रेजी में नाम खिलने नहीं आता, वे बच्चों को बढ़ाते हैं. बिहार में युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. बेरोजगारों की संख्या बढ़ती जा रही है. बिहार में भाजपा और लोजपा का गठबंधन है. जदयू से हमारा कोई गठबंधन नहीं. 10 नवंबर के बाद लोजपा व भाजपा मिल कर सरकार बनायेगी.
मीडिया पर फोड़ा ठीकरा- पारस ने कहा कि नीतीश कुमार के विकास वाले मेरे बयान को मीडिया के लोगों ने तोड़-मरोड़ कर पेश किया है, जो सरासर गलत है. पारस ने नीतीश कुमार के राज में विकास होने वाले अपने बयान का खंडन किया. मालूम हाे कि महागठबंधन से अलग होकर नीतीश कुमार ने जब भाजपा के साथ एक बार फिर सरकार बनायी तो उन्होंने पशुपति कुमार पारस काे अपने कैबिनेट में रखा था. बाद में वह हाजीपुर से सांसद निर्वाचित हुए.