आजकल के युवा कम उम्र में भटक कर नशे का सहारा लेना शुरू कर देते हैं । जो बाद में हिंसा पर जाकर खत्म होता है । दरभंगा स्थित प्रोडक्शन हाउस टेराबाइट स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड ने इन्ही हिंसा और भटकाव पर आधारति एक लघु हिन्दी फिल्म का निर्माण किया है । इस फिल्म की सबसे खास बात ये है कि ये सिनेमा पूर्णतः दरभंगा मे ही शूट की गई है और सिनेमा से जुड़े ऑन कैमरा ऑफ कैमरा सभी लोग दरभंगा के ही निवासी हैं।
फ़िल्म के मुख्य किरदार में है श्री संजीव पूनम मिश्र जो मुंबई मे एक जानेमाने अभिनेता हैं और अपनी अदाकारी से दर्शक को मंत्रमुग्ध कर देते हैं । इसके साथ ही इस फिल्म में थिएटर और ड्रामा के सिद्धहस्त कलाकार श्री रवि खंडेलवाल भी है । तीसरा किरदार निभाया है श्री दीपेश यदुवंशी जो पहली बार पर्दे पर आ रहे हैं लेकिन सिनेमा देखने पर आपको इनकी अदाकारी से ऐसा लगेगा मानो इनको वर्षों का अनुभव हो।
इसी प्रकार ऑफ कैमरा टीम मे सिनेमाटोग्राफी कर रहे हैं श्री राजेश्वर मिश्र , डायरेक्टर ऑफ फोटोग्राफी कर रहे हैं श्री अनिकेत और एरियल सिनेमाटोग्राफी कर रहे हैं श्री राहुल प्रकाश जी। सिनेमा के असिस्टेंट डायरेक्टर और स्क्रिप्ट सुपरविजन कर रहे श्री मुकुल कर्ण और स्पॉट हेल्प दे रहे श्री चंदन जी ।
चिलम चौकी के निर्देशक, लेखक, स्क्रीनप्ले और एडिटर हैं श्री शंकर आनंद झा जो कि पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। अगर इस सिनेमा की बात करें तो यह सिनेमा 3 लोगों की है, एक वो व्यक्ति है जो युवा को नशे की लत लगवाता है और इतना लाचार कर देता की युवा उसके चरणों मे गिर जाता है, वहीं दूसरा किरदार एक युवा है जो लाचारी मे कुछ भी कर गुज़रने को तैयार रहता है और तीसरा किरदार है सप्लायर का जो आवश्यकता के हिसाब से हथियार या नशे का सामान सप्लाई करता है।
कहानी इन्हीं तीनो के इर्दगिर्द घूमती है और बड़े प्रभावशाली ढंग से धर्मयुद्ध बता कर युवा को फुसलाने की कोशिश करता है । इस कोशिश में दो लोगों का खू’न हो जाता है फिर क्या होता है यह आपको सिनेमा देखकर ही पता चलेगा ।
सिनेमा की शूटिंग दरभंगा के लाल किला पर की गई है जो सिनेमा के माध्यम से पर्यटकों को भी अपनी और आकर्षित अवश्य करेगी। सिनेमा का प्रीमियर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म उत्सव के मंचों से किया जाएगा ।