बिहार कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) भागलपुर में दो साल पहले अमरूद का पौधा लगाया गया था, उसमें फल लगना अब शुरू हो गया है. बताया जा रहा है कि एक-एक पौधे में चार से पांच किलो का फलन हुआ है. एक अमरूद औसतन सौ-सौ ग्राम के आसपास का है. बीएयू अब इस शोध में जुट गया है कि कैसे इस पौधे को आम किसान उपयोग में लाए.
विशेषज्ञ कहते हैं कि अभी तक देश में इस अमरूद का व्यावसायिक उपयोग नहीं हो रहा है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान (शोध) के सह निदेशक डॉ. फिजा अहमद ने जो जानकारी दी है उसके अनुसार बीएयू में पहली बार इसका फल लगा है. यहां की मिट्टी व वातावरण इस फल के लिए मुफीद (उपयुक्त) है. दो साल में यह फल देने लगता है. अब इसके प्रचार-प्रसार की आवश्यकता है, ताकि यह बाजार में बिक सके.
भागलपुर के कृषि विश्वविद्यालय सबौर यानी बीएयू में में पहली बार काले अमरूद का उत्पादन शुरू हुआ है. दावा है कि यह फल बुढ़ापा आने से रोकता है.
उन्होंने बताया कि भविष्य में हरे अमरूद की तुलना में इसका कर्मिशयल वैल्यू 10 से 20 प्रतिशत अधिक होगा. आमतौर पर अमरूद 30 रुपये से 60 रुपये किलो तक बिकता है. उन्होंने बताया कि काला अमरूद में एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा अधिक होती है जो बुढ़ापा आने से रोकता है. इसे खाने से लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है. तो है न कमाल. ऐसे भी अमरूद को गरीबों का सेव कहा जाता है और यह भी साफ है कि कुपोषण भी इसी तबके में अधिक होता है. ऐसे में अगर हर आम ओ खास इस काले अमरूद का सेवन शुरू कर दे तो कई पौष्टिक तत्वों की कमी दूर हो जाएगी.