जब यह खुला, तो पटना के आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय से संबद्ध संस्थान ने अपने ‘फीस के रूप में गाय’ विकल्प के लिए अरियाव और आसपास के गांवों में हलचल पैदा कर दी – पहले वर्ष में दो गायें और बाद के तीन वर्षों में एक-एक गाय। टेक कोर्स – उन लोगों के लिए जो सालाना 72,000 रुपये की वार्षिक फीस नहीं दे सकते।
बक्सर जिले का इकलौता उच्च तकनीकी संस्थान विद्यादान इंजीनियरिग कालेज पर बुधवार को ताला लग गया। सरफेसी एक्ट के तहत बैंक आफ इंडिया ने अपने साढ़े पांच करोड़ रुपये कर्ज की वसूली के लिए कालेज के सभी प्रवेश द्वार को सील कर दिया। कालेज को डीआरडीओ में वैज्ञानिक रहे डा.एसके सिंह ने गांव वालों के सहयोग से स्थापित किया था। तब देश-विदेश में इस संस्थान की चर्चा हुई थी।
पिछले कुछ वर्षों से वित्तीय संकट झेल रहे संस्थान में पढ़ाई बंद थी। हालांकि, कालेज के पहले और दूसरे बैच के छात्रों का प्रदर्शन अच्छा रहा था और यहां का प्लेसमेंट रिकार्ड भी अच्छा था। कालेज सील करने पहुंचे सोवा व मुख्य ब्रांच के अधिकारियों ने बताया कि कुल पांच करोड़ 55 लाख रुपये अब तक कर्ज नहीं चुकाने पर बैंक पूरे कालेज परिसर को अपने कब्जे में ले रहा है। बैंक द्वारा कालेज प्रबंधन को कर्ज जमा करने के लिए बार बार नोटिस देने के बावजूद बैंक का पैसा नहीं जमा करने पर पटना से मुख्य प्रबंधक पटना रवि कुमार स्थानीय अधिकारियों को लेकर डुमरांव के अंचलाधिकारी सुनील कुमार वर्मा के साथ कार्रवाई पूरी करने पहुंचे थे।
अधिकारियों ने बताया कि कालेज प्रमोटर द्वारा 2010 में बैंक से चार करोड़ 45 लाख कर्ज लिया गया था। उसके बाद सोवां शाखा से 20 लाख रुपये लोन लिया गया था। ब्याज नहीं जमा होने की स्थिति में बैंक द्वारा 2012 में खाता को एनपीए कर दिया गया। उस समय बैंक को पांच करोड़ 55 लाख रुपये की वसूली करनी थी, उसके बाद अब तक बैंक को एक पैसा भी नहीं मिल पाया है। लोन के एवज में कुल जमीन 17 एकड़ 8.5 डिसमिल जमीन को बंधक रखा गया था सभी जमीन को बैंक ने अपने कब्जे में ले लिया।