बिहार का मखाना अब विश्व के लोगों को कोरोना वायरस से लड़ने की ताकत देगा। इस सूखे मेवे में हर वह जरूरी विटामिन हैं, जो किसी व्यक्ति को कोरोना से लड़ने की ताकत देता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इम्युनिटी बढ़ाने में भी यह सहायक है। इसके साथ इसमें दिल के मरीजों को राहत देने वाले भी तत्व होते हैं।
केन्द्र सरकार ने मखाना की ब्रांडिंग के साथ निर्यात की घोषणा की है। बिहार के मखाना को जीओ टैग भी मिलने वाला है। इसकी प्रक्रिया चल रही है। लिहाजा अब मखाना को ग्लोबल पहचान तो मिलेगी ही, यह दुनिया में तबाही मचाने वाले कोरोना से लड़ने की ताकत भी लोगों को देगा। इसी के साथ राज्य के मखाना उत्पादकों को नया बाजार मिल जाएगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी।
चीन में केवल दवा के लिए होता उत्पादन
राज्य में मखाना का उत्पादन लगभग छह हजार टन होता है। यह विश्व में होने वाले उत्पादन का 85 प्रतिशत है। इसके अलावा शेष 15 प्रतिशत में जापान, जर्मनी, कनाडा, बांग्लादेश और चीन का हिस्सा है। विदेशों में जो भी उत्पादन होता है, उसका बड़ा भाग चीन में होता है। मगर वहां इसका उपयोग केवल दवा बनाने के लिए होता है।
फैट यानी वसा मात्र 0.1 प्रतिशत ही होती है मखाना अनुसंधान परियोजना के प्रधान अन्वेशक डॉ. अनिल बताते हैं कि मखाना में 20 एमिनो एसिड पाये जाते हैं। जेनेवा के कृषि खाद्य संगठन व विश्व स्वास्थ्य संगठन के शोध के मुताबिक मटन, गाय व मां के दूध से भी ज्यादा पोषक तत्व (एमिनो एसिड के रूप में) मखाना में होता है। इसमें प्रोटीन 7.5 से 15.25 प्रतिशत व आयरन 1.4 मिग्रा प्रति 100 ग्राम होता है। फैट यानी वसा मात्र 0.1 प्रतिशत होती है। लिहाजा दिल के साथ डायबिटीज के मरीज के लिए बहुत लाभदायक है।
मखाना उत्पादन बढ़ाने के लिए कई प्रयास हो रहे हैं। बायोटेक किसान हब के माध्यम से भी इसकी खेती हो रही है। सबौर मखाना वन प्रभेद विश्वविद्यालय में ईजाद की गई है, जो उत्पादन के साथ क्वालिटी बढ़ाने में भी सहायक है। -डॉ. आरके सोहाने, प्रसार शिक्षा निदेशक, बीएयू