बिहार में लगभग 94 हजार सीटों पर शिक्षक बहाली की प्रक्रिया चल रही है। इस साल जुलाई और अगस्त महीने में हुई काउंसिलिंग ने नीतीश सरकार की चिंता बढ़ा दी है। बताया जा रहा है कि 94 हजार पदों की काउंसलिंग में लगभग आधी सीटें खाली हैं। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने रविवार की शाम बताया कि विभाग इस बात को लेकर चिंतित है कि आखिर इतने कम उम्मीदवार क्यों काउंसिलिंग में शामिल हो रहे हैं और इतनी बड़ी संख्या में पद कैसे खाली रह जा रहे हैं।
हालांकि अभी तक बिहार के सभी 38 जिलों से 10 अगस्त और 13 अगस्त को पूरी हुई काउंसलिंग की रिपोर्ट सरकार को नहीं मिल पाई है। लेकिन जिलाधिकारियों से मिली चयन की मौखिक सूचनाओं ने विभाग को परेशानी में डाल दिया है। शिक्षा विभाग को 10 औअगस्त कर 13 अगस्त के चयन की रिपोर्ट अबतक 22 जिलों ने नहीं दी है। अब विभाग को आशंका हो रही है कि रिपोर्ट नहीं देने के पीछे कोई और मकसद तो नहीं। विभाग पड़ताल कर रहा है कि कहीं नियोजन इकाइयों ने पोस्ट तो होल्ड करके नहीं रखा है, ताकि बाद में आहिस्ते से चयन पूर्ण कर लिया जाए।
सरकार ने अभी से ही इसकी पड़ताल शुरू कर दी है कि आखिरकार कैसे आधे से अधिक के खाली रहने की आशंका है। अपर मुख्य सचिव के निर्देश पर प्रारंभिक शिक्षा निदेशक अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने विभाग के सीनियर अफसरों को काउंसिलिंग में कम शिक्षकों के चयन को लेकर जिलों में भेजा है। इसकी जांच की जाएगी। गौरतलब हो कि बिहार शिक्षा विभाग को सैकड़ों की संख्या में नियोजन इकाइयों द्वारा मेधा सूची बनाने और मेधा सूची के अनुसार काउंसिलिंग नहीं कराए जाने की शिकायतें मिली हैं। शिक्षा विभाग के कंट्रोल रूम में अभ्यर्थियों के ताबड़तोड़ फोन आ रहे हैं। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने कहा कि “दो चरणों में प्रारंभिक शिक्षकों की काउंसिलिंग हुई है और योग्य शिक्षक अभ्यर्थी चयनित हुए हैं। एक-एक अभ्यर्थी के प्रमाण पत्रों का सत्यापन कराया जाएगा। इसके पूर्ण होने के बाद ही किसी की भी बहाली की जाएगी, चाहे इस प्रक्रिया में जो समय लगे।”