इसी बीच पीएमसीएच के आइसोलेशन वॉर्ड में भर्ती जमुई के रहने वाले मनीष कुमार मिश्रा ने बताया, “दिल्ली में रहकर काम करता हूं। पटना एयरपोर्ट से संदिग्ध के तौर पर लाए गया हूं और शनिवार से पीएमसीएच में भर्ती हूं। लेकिन टेस्ट का रिज़ल्ट अभी तक नहीं आया है।”
दुबई से लौटे समस्तीपुर के रहने वाले विनोद कुमार चौधरी को भी पीएमसीएच के कोरोना वॉर्ड में रखा गया है। उन्हें भी चौथे दिन तक टेस्ट रिज़ल्ट नहीं मिला था।
संदिग्ध मरीज़ों की शिकायतें एक जैसी थी। “न खाना समय पर मिलता है, न पानी। अगर कोई कुछ देने भी आता है तो बाहर रख कर चला जाता है। कोई सीधे मुँह बात नहीं करता। शुरू के 48 घंटे तक तो कुछ भी खाने को नहीं दिया गया। बहुत हंगामा करने पर अगले दिन रात में खाना आया। जब से भर्ती हैं तब से एक ही बेडशीट है, एक ही कपड़ा।”
बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के ताजा आँकड़ों के मुताबिक़ अब तक जांच कराए गए सभी 70 संदिग्ध मरीज़ों के सैंपल्स निगेटिव आए हैं। लेकिन पीएमसीएच में जिस कॉटेज वॉर्ड में कोरोना के संदिग्धों को रखा गया है, वहां पहुंचने का रास्ता गंदगी से भरा और दुर्गंध वाला है।
रास्ते पर नाली का पानी बह रहा था। मरीज़ तो मरीज़, डॉक्टर और नर्सें भी इसी रास्ते को पार कर जाने को विवश हैं।
कॉटेज वॉर्ड के ऊपरी तले पर कोरोना के संदिग्ध मरीज़ रखे गए हैं। वॉर्ड के नीचे कुछ सुरक्षाकर्मी मिले जिन्होंने अंदर जाने से यह कहते हुए रोक दिया कि मरीज़, डॉक्टर-नर्स और परिजनों के अलावा किसी को ऊपर जाने की अनुमति नहीं है।
सुरक्षाकर्मियों से बातचीत में ये भी पता चला कि बीती रात वॉर्ड से एक संदिग्ध मरीज़ भाग गया था। इसलिए सुरक्षा ज़्यादा चाक चौबंद कर दी गई है।