बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) में 16 फीसदी दलित वोटरों (Dalit Voter) को साधने की तैयारी शुरू हो गई है. एक तरफ महागठबंधन ने कम कस ली है तो दूसरी ओर जदयू ने भी बड़ी तैयारी की है. दरअसल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने हाल में ही दलित के लिए कुछ दिन पहले बड़ी घोषणा की थी. इसके तहत किसी भी दलित की हत्या (Murder) होने पर परिवार को सरकारी नौकरी देने का ऐलान किया गया है. इस घोषणा को गांव तक पहुंचाने की जिम्मेदारी चार दलित मंत्री को दी गई है. भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी, उद्योग मंत्री महेश्वर हजारी, पथ निर्माण मंत्री संतोष निराला और अनुसूचित जाति जनजाति मंत्री कृष्ण कुमार ऋषि को इसकी जिम्मेदारी दी गई है.
दलित नेताओं को टीम में बांटकर प्रचार की तैयारी
सभी चारों मंत्री के ग्रुप में कई दलित नेता शामिल होंगे. सभी दलित नेता अलग अलग तारीख को मुताबिक सभी गांवों का दौरा करेंगे. दलित विधायक गांवों में जाकर नौकरी देने की घोषणा और दलितों के लिए किए सरकार के सभी कामों को लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी संभालेंगे. मंत्री अशोक चौधरी ने बताया कि नीतीश सरकार ने दलितों के लिए जितना किया उतना आजतक किसी सरकार ने नहीं किया. नौकरी देने के साथ दलितों के पढ़ाई और स्कॉलरशिप देने का काम नीतीश सरकार ने किया. ऐसी ही बातों को लोगों तक पहुंचाया जाएगा.
विपक्ष ने ऑपरेशन दलित को बताया आईवाश
जदयू के ऑपरेशन दलित को आरजेडी ने आईवाश बताया है. आरजेड़ी नेता मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि नीतीश कुमार सिर्फ घोषणा ही करते हैं. दलितों के असली मसीहा लालू प्रसाद यादव है और सभी दलित तेजस्वी यादव के साथ है. मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि श्याम रजक जैसा चेहरा जदयू छोड़कर आरजेडी में आ गया फिर कौन से दलित चेहरे की बात कर रहे.
जीतन राम मांझी के जरिये जेडीयू साधेगी निशाना
चिराग पासवान जैसे दलित चेहरे का सीएम नीतीश पर निशाना के बाद नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को अपने साथ मिलाकर दलित वोटरों को साधने का बड़ा दाव खेला है. चुनाव मे मांझी को दलित वोटरों के बीच प्रचार के लिए खास तैयारी चल रही है ताकि मांझी दलित वोटरों को जेडीयू के पाले में ला सके.