मंगलवार को बिहार का वित्तीय वर्ष 2020-21 का वार्षिक बजट विधानमंडल में पेश किया जाएगा। उप मुख्यमंत्री सह वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी 13वीं वार द्वितीय पाली में बजट प्रस्तुत करेंगे। इस वर्ष पहली बार बिहरा में ग्रीन बजट भी पेश होगा जो कि मूल बजट का ही पार्ट होगा। तो वहीं अगले वित्तीय वर्ष के बजट में किसान व खेती, ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर जोर दिए जाने की उम्मीद है।
बेहतर वित्तीय प्रवंधन के कराण पिछले वर्ष 2019-20 में करीब 10 गुना वृद्धि के साथ बजट का आकार 2।501 लाख करोड़ का रहा था। जहकि इस वर्ष पुन: इसमें 10 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद है। सोमवार को उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 2005 में एनडीए सरकार के गठन के बाद लेखानुदार की जगह 31 मार्च से पूर्व पूरे साल का बजट पारित करने की परंपरा शुरू की गई।
उसके पहले मार्च के पहले चार महीने के लिए और फिर जुलाई के साल में शेष आठ महीने के लिए लेखानुदान पारित कराया जाता था। परिणामत: एक ही खर्च के लिए 2-2 बार विधानमंडल की अनुमति लेनी पड़ती थी। ऐसे में सुशील मोदी ने कहा कि बजट बनाने की प्रिक्रिया के लोकतांत्रिकरण के लिए 2006 में शुरू की गई ‘बजट पूर्व परिचर्चा’ की परिपाटी के तहत इस साल भी 9 अलग-अलग क्षेत्रों के करीब 900 लोगों के साथ बजट पूर्व विमर्श किया गया। इसमें शामिल लोगों के सुझाव संकलित किए गए। इसके अलावा समाचार पत्रों में विज्ञापन प्रकाशित कर ऑनलाइन सुझाव भी आमंत्रित कर आम लोगों को बजट निर्माण में सहभागी बनाया गया।