बिहार में महागठबंधन का आकार बड़ा करने की पहल तेज हो गई है। बिहार के साथ दूसरे राज्यों की भाजपा विरोधी पार्टियों को भी जोड़ने की पहल राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने शुरू की है। उनकी सलाह पर तेजस्वी यादव इस मुहिम में लगे हैं। इस सिलसिले में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) से बात हो चुकी है। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने राजद के साथ मिलकर बिहार में भी चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। अब नई पहल बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को मिलाने की हो रही है। उत्तर भारत की भाजपा विरोधी पार्टियों को मिलाकर बना महागठबंधन बिहार की चंद पार्टियों का गठबंधन बनकर रह गया है। भाजपा के खिलाफ बने इस गठबंधन से राजनीतिक दलों ने किनारा किया तो राजद के साथ सिर्फ कांग्रेस ही बच गई थी। मुलायम सिंह ने नाता तोड़ा। उसके बाद दूसरे राज्य के कई दलों ने अपना हाथ खींच लिया, लेकिन अब तेजस्वी यादव एक बार फिर से गठबंधन के कैनवस को बढ़ा करने में जुट गये हैं। बिहार में ही सही, लेकिन महागठबंधन के नाम को चरितार्थ करने की पहल शुरू हो गई है।
राजद महागठबंधन की अगुआई कर रहा है। एक-एक सीट और इलाके के हिसाब से जीत का अंकगणित तैयार हो रहा है। किसी भी दल से बात करने के पहले उसके प्रभाव क्षेत्र का आकलन किया जा रहा है। साथ ही सीटें भी तय हो रही है कि किन सीटों पर उनका समर्थन राजद को मिलेगा और कौन सीटें उस दल को दी जा सकती है, लेकिन इस बात का पहला ख्याल रखा जा रहा है कि उन्हीं दलों को जोड़ना है जो सीएम उम्मीदवार के रूप में तेजस्वी यादव के नाम पर अंगुली नहीं उठा पाए। पिछले लोकसभा चुनाव में ही राजद ने इस गठबंधन का कैनवस बड़ा करना शुरू कर दिया था। गठबंधन में कांग्रेस के अलावा जीतन राम मांझी की हम पार्टी, उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा और मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी जुड़ी थी। माले को राजद ने अपने खाते से एक सीट दी थी। तब उपेन्द्र कुशवाहा ने वाम दलों को साथ लेने की वकालत की थी, लेकिन राजद की ओर से सिगनल नहीं मिला। अब जीतन राम मांझी ने अपना हाथ खींच लिया और वह जदयू के रास्ते एनडीए में शामिल हो गए। मगर वाम दलों को गठबंधन में शामिल कर लिया गया।