कक्षा 1 से 5 तक के प्राथमिक स्कूल में 40518 प्रधान शिक्षक और 5334 उच्च माध्यमिक स्कूलों में प्रधानाध्यापक संवर्ग के पद सृजन की स्वीकृति मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई। नियुक्ति बीपीएससी से होगी। दोनों पदों के लिए अलग-अलग 150-150अंकों के वस्तुनिष्ठ प्रश्न के आधार पर अभ्यर्थियों का चयन होगा। निगेटिव मार्किंग होगी। चार प्रश्न में एक प्रश्न गलत देने पर एक अंक यानी 0.25 प्रतिशत अंक कटेंगे। प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक के इस अलग संवर्ग के लिए अलग वेतनमान वित्त विभाग तय करेगा। जल्द ही रिक्ति बीपीएससी को भेजी जाएगी। लक्ष्य है कि 2022 तक सभी स्कूलों में प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक नियुक्त हो जाएं, ताकि स्कूल प्रबंधन और पढ़ाई बेहतर हो।
प्रधानाध्यापक के लिए आठ साल सेवा वाले प्लस टू नियोजित शिक्षक और 10वीं कक्षा तक के लिए 10 साल सेवा वाले नियोजित शिक्षक ही योग्य होंगे : प्रधान शिक्षक के लिएकक्षा 6 से 8 तक के लिए स्नातक ग्रेड शिक्षक, जिसकी सेवा संपुष्ट है। कक्षा 1 से 5 तक नियोजित वैसे शिक्षक जिनकी सेवा न्यूनतम 8 साल है, वे आवेदन कर सकेंगे।प्रधानाध्यापक के लिए मध्य विद्यालय से उत्क्रमित उच्च माध्यमिक स्कूल और पंचायत स्तर पर खुले नए उच्च माध्यमिक स्कूलों (कुल 5334) में प्रधानाध्यापक पद के लिए सरकारी स्कूलों में जिला परिषद और नगर निकायों के माध्यम से नियुक्त प्लस टू के शिक्षक जिन्हें 8 साल पढ़ाने का अनुभव है। कक्षा 9 व 10 के शिक्षक जो पोस्ट ग्रेजुएट के साथ ही 10 साल स्कूल में पढ़ाने का अनुभव हो।
निजी स्कूलों के शिक्षक भी होंगे योग्य आईसीएसई, सीबीएसई या बिहार विद्यालय परीक्षा समिति (बीएसईबी) से मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के शिक्षक भी आवेदन के पात्र होंगे। लेकिन इनके लिए शिक्षक के लिए उपयुक्त शैक्षणिक और प्रशिक्षण संबंधी डिग्री के साथ ही प्लस टू के शिक्षक को 10 साल और 9 और 10 के शिक्षक के लिए पढ़ाने का अनुभव न्यूनतम 12 साल होने चाहिए।