नागरिकता कानून, एनसीआर और एनपीआर को लेकर देशभर में जारी बहस और बवालों के बीच राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू यादव इसमें कूद पड़े हैं। लालू यादव ने शनिवार को ट्वीट कर जातीय जनगणना कराए जाने की मांग की है।
आरजेडी चीफ ने ट्वीट करते हुए कहा-
“कथित NPR, NRC और 2021 की भारतीय जनगणना पर लाखों करोड़ खर्च होंगे। सुना है NPR में अनेकों अलग-2 कॉलम जोड़ रहे है लेकिन इसमें जातिगत जनगणना का एक कॉलम और जोड़ने में क्या दिक्कत है? क्या 5000 से अधिक जातियों वाले 60% अनगिनत पिछड़े-अतिपिछड़े हिंदू नहीं है जो आप उनकी गणना नहीं चाहते?”
राजद सुप्रीमो ने आगे लिखा है कि,
“आप जनगणना में कुत्ता-बिल्ली, हाथी-घोड़ा, सुअर-चीता सब गिनते है। सभी धर्मों के लोगों को गिनते है लेकिन पिछड़े-अतिपिछड़े हिंदुओं को नहीं गिनते? क्यों? क्योंकि पिछड़े-अतिपिछड़े हिंदू संख्याबल में सबसे ज़्यादा है।”
कथित NPR, NRC और 2021 की भारतीय जनगणना पर लाखों करोड़ खर्च होंगे। सुना है NPR में अनेकों अलग-2 कॉलम जोड़ रहे है लेकिन इसमें जातिगत जनगणना का एक कॉलम और जोड़ने में क्या दिक्कत है?
क्या 5000 से अधिक जातियों वाले 60% अनगिनत पिछड़े-अतिपिछड़े हिंदू नहीं है जो आप उनकी गणना नहीं चाहते?
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) December 28, 2019
केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा है कि उन्हें डर है कि अगर पिछड़े हिंदुओं की आबादी के सही आंकड़े आ गए तो लोग उन आंकड़ों के आधार पर जागरुक होकर अपना हक़ मांगने लगेंगे। बहुसंख्यक हिंदुओं को पता लग जाएगा कि आरएसएस का नागपुरिया गैंग उन बहुसंख्यक हिंदुओं के सभी हक़-अधिकारों का हनन कर पिछड़े हिंदुओं का सारा हिस्सा खा रहा है।
लालू ने चेताया है कि साथियों, मुस्लिम तो बहाना है, दलित-पिछड़ा असल निशाना है। हमने तत्कालीन मनमोहन सरकार से 2010 में जातीय जनगणना को स्वीकृति दिलवाई थी लेकिन उसपर हज़ारों करोड़ खर्च करने के बाद वर्तमान सरकार ने वो सारे आंकड़े छुपा लिए और उन्हें कभी सार्वजनिक नहीं किया। हमारी पार्टी सड़क से संसद तक यह लड़ाई लड़ती रहेगी।
बता दें कि इससे पहले श्याम रजक ने भी जातिगत जनगनना कराए जाने की मांग की थी । बिहार (Bihar) की गठबंधन सरकार में जेडीयू कोटे से मंत्री श्याम रजक (Shyam Rajak) ने केंद्र सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द देश में जातिगत जनगणना कराई जाए और जातिगत जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक भी की जाए। रजक ने कहा कि देश में इस वक्त ये जानना जरूरी है कि किसकी कितनी आबादी है। उस लिहाज से उसके लिए योजनाएं बनें ताकि उसका फायदा जरूरतमंद तबका उठा सके। ऐसा करना देश हित में है।