राज्य के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने शुक्रवार को माना कि राज्य में खाद की कमी चल रही है। इसकी वजह कोरोना के कारण शिपिंग का बंद होना है। भारत 30% खाद आयात करता है। जहाज खाद लेकर भारत नहीं पहुंच पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिन प्रखंडों में खाद की कम जरूरत है, वहां का स्टॉक जरूरत वाले प्रखंडों में भेजने की व्यवस्था की जा रही है। खाद के रेक को डिमांड वाले जिलों में भेजा जायेगा।
किसानों को लगानी पड़ रही लाइन
प्रभात खबर के जिला प्रतिनिधियों के मुताबिक कई जिलों में किसानों को खाद के लिए घंटों धूप में घंटों खड़े रहना पड़ रहा है। इसके बाद भी जरूरत की दो बोरी यूरिया मिलने की गारंटी नहीं है। पटना जिले के मसौढ़ी अनुमंडल के कोरियावां गांव के किसान सोने लाल का कहना है कि खाद नहीं मिल पा रही है़ दुकान खुलती है।
किसानों की भीड़ इतनी होती है कि तीन से चार घंटे में ही खत्म हो जाती है, बचे हुए किसान अगले दिन फिर लाइन में लगते हैं। कैमूर जिले के भभुआ थाने के सीवों गांव के किसान प्रभात कुमार सिंह और राजेश कुमार सिंह का कहना था कि हमलोग खाद की किल्लत का सामना कर रहे हैं। हमें 50 बोरे की जरूरत थी, लेकिन दो बोरा ही खाद दी।
हर दिन दर्ज हो रहीं चार से पांच एफआइआर
राज्य में प्रतिदिन चार से पांच एफआइआर हो रही हैं। विभिन्न जिलों में खाद की कालाबाजारी के खिलाफ 200 एफआइआर हो चुकी हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार ये केस दुकानदार या कालाबाजारी करने वालों पर हुए हैं, लेकिन कई जगह के किसानों ने दावा किया है छोटे किसानों पर भी केस हुआ है।
यूपी से खाद लेकर आ रहे कैमूर निवासी किसान मंजीत सिंह पर प्राथमिकी हुई है। 19 अगस्त को चांद थाने में ट्रैक्टर-ट्राली जब्त की गयी। कृषि अधिकारी कह रहे हैं कि यह खाद तस्करी की है। किसान का कहना था कि मैं अपने लिए खाद ला रहा था। हालांकि, यूपी की सीमा से जुड़े जिलों के खाद डीलर बड़े किसानों की मदद से यूपी से महंगा खाद मंगाकर बिहार में मुंहमांगी कीमत पर बेच भी रहे हैं।
आवंटन हुआ, पर नहीं हो पा रही पर्याप्त आपूर्ति
राज्य सरकार ने 10 लाख टन यूरिया, साढ़े तीन लाख टन डीएपी, दो लाख टन एनपीके और एक लाख टन एमओपी की मांग की थी। आवंटन तो राज्य की मांग से अधिक 11 ।22 लाख टन हो गया, लेकिन आपूर्ति उस हिसाब से नहीं हो पा रही है। अगस्त में 2।80 लाख टन की जरूरत थी, लेकिन आपूर्ति मात्र एक लाख 74 हजार 641 की हुई। सितंबर में 2।40 लाख टन की जरूरत है, लेकिन अब तक मात्र 46 हजार 573 टन यूरिया मिल सका है। डीएपी 60 हजार टन जरूरत की तुलना में मात्र पौने सात हजार टन मिला है। यह आकंड़ा शुक्रवार तक का था।