घोटालों की फेहरिस्त में एक और नया घोटाला खनन विभाग (Mining department scam) में सामने आाया है. इसमें बिना माइनिंग चालान के ही पीरपैंती से बाहर 270 रैक पत्थर को भेज दिया गया जिसमें साढ़े नौ करोड़ रुपये की हेरफेर की गई है. पूर्व खनन पदाधिकारी प्रणव कुमार प्रभाकर और विभाग के क्लर्क कुणाल किशोर और प्रांजल तिवारी पर माइनिंग माफियाओं के साथ मिलकर घोटाला करने का आरोप है. मामला अगस्त 2015 से जुलाई 2020 तक का है, जिसमें बिना माइनिंग चालान के ही मेसर्स सीटीएस इंडस्ट्रीज पर 235 और कुल 270 रैक पत्थरों की ढुलाई का आरोप लगा है. मामले का खुलासा आरटीआई से मिले दस्तावेज से हुआ. जिसके बाद आरटीआई से जानकारी लिए बुद्धुचक से जानकारी लिए सुशील राय ने पटना सचिवालय में खनन विभाग के प्रधान सचिव से मिलकर शिकायत की. खनन एवं भूतत्व विभाग के प्रधान सचिव के निर्देश पर दो सदस्यीय जांच टीम डिप्टी डायरेक्टर मनोज अम्बष्ट और सुरेन्द्र सिन्हा भागलपुर पहुंचे और तीन दिनों से कार्यालय में दस्तावेज खंगालने के साथ कर्मचारियों से पूछताछ एवं पीरपैंती में स्पॉट वेरिफिकेशन किया. विभाग की ओर से मिले आरटीआई में जानकारी के अनुसार बिना चालान के ही रैक भेजे जाने का हुआ खुलासा हुआ है.
भागलपुर में खनन विभाग में बिना चालान के ही पांच सालों में 270 रैक पत्थर पीरपैंती से बाहर भेजा गया, जिसमें 235 रैक पत्थर मेसर्स सीटीएस इंडस्ट्रीज की ओर से भेजा गया. इस अवैध कारोबार में नौ करोड़ 45 लाख रुपये का घोटाला है. इस घोटाला में पूर्व खनन पदाधिकारी प्रणव कुमार प्रभाकर और विभाग के क्लर्क कुणाल किशोर और प्रांजल तिवारी पर घोटाला करने का आरोप है. हालांकि पदाधिकारी समेत दोनों क्लर्क का तबादला हो चुका है. इधर मामले के शिकायतकर्ता सुशील राय को खुलासे के बाद धमकी मिलनी शुरू हो गई है, जिसके बाद हत्या की आशंका जाहिर करते हुए उन्होंने कोर्ट में सनहा दर्ज कराया है. जांच के लिए पहुंची विभाग की दो सदस्यीय टीम कागजात खंगालने के साथ कर्मचारियों से पूछताछ के साथ ही स्पॉट वेरिफिकेशन भी कर रही है. जांच के लिए पहुंची डिप्टी डायरेक्टर मनोज अम्बष्ट ने साक्ष्य के आधार पर कार्रवाई की बात कही और जांच के गोपनीय होने की बात कही. उन्होंने स्पष्ट कहा कि जांच के दायरे में साक्ष्य के आधार पर जो भी आयेंगे, बख्शे नहीं जायेंगे. दोनों अधिकारी जांच के बाद अपनी जांच रिपोर्ट विभाग के प्रधान सचिव को सौपेंगे, जिसके बाद पूर्व खनन पदाधिकारी समेत दोनों आरोपी क्लर्कों पर कार्रवाई सम्भव हो पायेगी. मामले के रहस्योद्घाटन के बाद खनन विभाग के कार्यालय की सुरक्षा बढ़ा दी गयी है. मिली जानकारी के अनुसार, जांच टीम को कार्यालय में कागजात नहीं मिले हैं. साथ ही फर्जी चालान से लेकर फर्जी अधिकारियों के हस्ताक्षर करने की भी बात सामने आ रही है.
इतना ही नहीं ओवरलोडेड गाड़ियों के नाम पर भी माफियाओं से मिलकर फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आ रहा है. इस पूरे मामले में एक बड़े रैकेट के बिहार के कई जिले से लेकर झारखंड और पश्चिम बंगाल तक काम करने की बात सामने आई है. खनन विभाग में जिस तरह पांच सालों के दौरान साढ़े नौ करोड़ रुपये के घोटाले के साथ फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है, अगर इसकी निष्पक्ष जांच की गई तो बड़े चौकाने वाले तथ्यों के साथ कई सफेद कॉलर लोगों के चेहरे सामने आने की बात कही जा रही है. मामले में सबसे रोचक तथ्य यह है कि पत्थर वाली जमीन नहीं होने के बावजूद पीरपैंती रेलवे स्टेशन से अवैध तरीके से रेल रैक से बाहर भेजा गया. बहरहाल सृजन घोटाले के बाद खनन विभाग में हुए घपले ने सरकारी राशि के अवैध हस्तांतरण के मामले को एक बार फिर मजबूती प्रदान की है.