बड़े शहरों से अपने गांव लौटे प्रवासी मजदूरों के लिए मुश्किलें कम होंने का नाम ही नहीं ले रही है। बिहार के वैशाली में ऐसा ही कुछ नजारा देखने को मिल रहा है। वैशाली के गोरौल में होम क्वारेंटीन होने वाले प्रवासी मजदूरों के सामने नई परेशानियां खड़ी हो गई हैं। सरकारी आदेश के अनुसार इन मजदूरों को होम क्वारेंटीन के लिए घर भेज दिया गया। लेकिन इन मजदूरों के पास इतने बड़े घर नहीं है कि वह परिवार के साथ रहते हुए क्वारेंटीन के नियमों का पालन कर सके। ऐसे में इन श्रमिकों को जंगल और झाड़ में रहना पड़ रहा है।
लोदीपुर पंचायत में गुजरात से लौटे श्रमिको को होम क्वारेंटीन के लिए कह दिया गया। परिवार के साथ छोटे घरों में रहना परिवार के लिए खतरनाक है लिहाजा मजदूर तंबू लगाकर अपने घरों से दूर रह रहे हैं। इन तंबुओं में रहना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है। दिन में चिलचिलाती घूप का कहर और रात में मच्छरों का आतंक उन्हें सोने नहीं देता है। बड़े शहरों को छोड़ अपने गांवों की तरफ लौटे मजदूरों के लिए जीवन और भी मुश्किल हो गया है।
प्रवासी मजदूरों ने बताया कि इतना कष्ठ होने के बावजूद न तो स्थानीय मुखिया मुलाकात के लिए आया और न ही प्रशासन ने कोई सुध ली।बता दें कि बिहार में कम से कम 242 और लोगों के कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने के बाद रविवार को संक्रमितों की संख्या 3,806 हो गई है। राज्य सरकार के अनुसार दूसरे राज्यों से प्रवासियों के आने से मामलों में वृद्धि हो रही है।बिहार सरकार के अनुसार फिलहाल राज्य में कुल 12,291 ब्लॉक पृथक वास चल रहे हैं।इन्हें 15 जून तक बंद कर दिया जाएगा। अब तक 7.94 लाख लोग 14 दिन क्वारेंटीन की अवधि पूरी करने के बाद अपने घर पहुंच गए हैं।
सोनाली कुमारी (राँची झारखंड )